आम आदमी पार्टी के संयोजक और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री
अरविंद केजरीवाल का ये ड्रामा कहें या सियासत। खैर जो भी कह लें। लेकिन केजरीवाल
की नजरों में तो हर कोई दोषी है। ईमानदार तो सिर्फ केजरीवाल और उनकी पार्टी के लोग
हैं। आरोप लगाने के बल पर ही उन्होने दिल्ली की जनता के दिलों पर राज किया। केजरी
बाबू की नजर में मीडिया दोषी, सरकार दोषी, व्यवस्था दोषी, राजनीतिक दल दोषी और तो औऱ अब तो अदालत
पर भी उन्होने संदेह जता दिया। मानहानि के मामले में उन्होने ये कहते हुए बेल बांड
भरने से मना कर दिया कि ये राजनीति से प्रेरित आरोप है। केजरीवाल ने तो बेल बांड
भरने से मना कर दिया। लेकिन उन्ही के सहयोगी योगेंद्र यादव 5000 के निजी मुचलके की
जमानत पर जेल से बाहर आ गए हैं। उन्हे बीती रात तिहाड़ के सामने धरना देते समय
पुलिस ने गिरफ्तार किया था। पार्टी एक विचारधारा एक लेकिन सिद्धांत अलग अलग
केजरीवाल के सिद्धांतों पर सवाल खड़ा करता है। मीडिया ने केजरी स्टंट को ड्रामा
करार दिया तो उनकी पत्नी सुनीता केजरीवाल तिलमिला पड़ी। तिहाड़ में पति से मुलाकात
के बाद उन्होने कहा कि जो कुछ भी उनके पति ने किया वो बिल्कुल ठीक है। केजरीवाल की
गिरफ्तारी के खिलाफ तिहाड़ के बाहर प्रदर्शन में नाकाम पार्टी अब डोर टू डोर
अभियान चलाएगी। जिसमें ये बताने की कोशिश करेगी कि किस तरह केजरीवाल जैसे ईमानदार
व्यक्ति को राजनीतिक षडयंत्र के तहत जेल में बंद कराया गया। चुनाव में करारी
शिकस्त से आहत केजरीवाल ने जनमत हासिल करने का नया प्लान तैयार किया है। जिस तरह
से उन्होने अदालत पर सवाल उठाया है। उनके इस कदम से केजरीवाल को दिल्ली के
विधानसभा चुनाव में जनता की सहानुभूति मिलती है या नही। ये तो आने वाला वक्त ही
बताएगा। फिलहाल अभी तो उनकी रातें तिहाड़ के अंदर ही कट रही है।
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