सोलहवीं लोकसभा में चली परिवर्तन की लहर में जिस नरेंद्र मोदी
का जादू मतदाताओं के सिर
चढ़कर बोला। उसी मोदी ने संसद के अंदर प्रवेश करने से पहले सीढ़ियों पर मत्था टेका तो पल भर के लिए
मानों ऐसे लगा कि जनता ने सचमुच इस बार जो फैसला लिया
है वो सही है। अब तक किसी नेता या प्रधानमंत्री ने लोकतंत्र के मंदिर को सचमुच मंदिर समझकर
सर झुकाया हो। वैसे भी नरेंद्र मोदी के अंदर नेतृत्व
और सम्मान की ऐसी आभा है जिसका राज हर हिंदुस्तानी दिल पर है। तभी तो अटल बिहारी जैसे
दूरदर्शी नेता को सुनने के लिए सैलाब
उमड़ता
है। पक्ष हो या विपक्ष मोदी ने सबको सम्मान दिया और पार्लिया मेंट के भाषण में उन्होने सरकार को गरीबों और
सुरक्षा के लिए तरसती मां बहनों की
सरकार
बताया तो मानो जनता खुद को कृतार्थ महसूस करने लगी। अब वक्त है हिंदुस्तान को बदलने का और मौका भी है
कि देश के भावी प्रधानमंत्री जनता के
सपनों
को पूरा करते हुए देश को फिर से सोने की चिड़िया बनाने की दिशा में ठोस कदम उठाएं।
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