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Thursday 9 October 2014

अपराध की दलदल में हरियाणा की सियासत

कलम की आवाज: अपराध की दलदल में हरियाणा की सियासत: भले ही हरियाणा की धरती को बेहद उपजाऊ होने का गौरव मिला है। और सबसे अमीर होने का तमगा। लेकिन दागी सियासत के लिए भी हिंदुस्तान के राज्...

अपराध की दलदल में हरियाणा की सियासत



भले ही हरियाणा की धरती को बेहद उपजाऊ होने का गौरव मिला है। और सबसे अमीर होने का तमगा। लेकिन दागी सियासत के लिए भी हिंदुस्तान के राज्यों में हरियाणा की उम्दा पहचान है। सूबे की सियासत पर ऐसा कलंक है। जिसे लाख कोशिश के बाद भी साफ करना नामुमकिन है। क्योंकि यहां की सियासत की जड़े ही अपराध के दलदल से निकली हैं। सूबे में सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी के मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा 10 सालों में अपार दौलत के मालिक बन बैठे। दहेज के लिए बहू को घर से निकाल दिए और वाड्रा की चिठ्ठी दिखाकर सोनिया, राहुल को ब्लैकमेल करते रहे। सूबे में सिर्फ उनकी और उनके करीबियों की चलती रही। जिससे पार्टी अंदरूनी कलह की शिकार हो गयी और ये कलह पार्टी को भीतर से खोखला करने लगी। अब दूसरी बड़ी पार्टी इंडियन नेशनल लोकदल के मुखिया ओमप्रकाश चौटाला उनके बेटे अजय चौटाला जेबीटी घोटाले में सजायाफ्ता कैदी हैं। स्वास्थ्य खराब होने का हवाला देकर जमानत पर इन दिनों सलाखों से बाहर हैं घूम घूम कर चुनाव प्रचार कर रहे हैं। और विरोधी दलों पर आरोप लगा रहे हैं कि नौकरी देने के लिए उन्हे जेल हुई है। इसके बाद हरियाणा जनहित कांग्रेस का नंबर आता है। जिसके अध्यक्ष कुलदीप बिश्नोई के भाई चंद्र मोहन बिश्नोई उप मुख्यमंत्री रहते अनुराधा बाली के इश्क में हिंदू से मुसलमान बन गए। और जी भर जाने पर तलाक देकर फिर हिंदू बन गए। जिससे पूरी दुनिया में उनकी थू थू हुई। अब फिजा की भी मौत हो चुकी है, मौत भी ऐसी भयानक जिसे सुनकर दिल कांप जाता है, एक हफ्ते बाद मोहाली में फिजा के फ्लैट में सड़ी लाश मिली थी। उससे कुछ दिन पहले दोनों के रिश्तों में खटास, मारपीट की खबरें आई थी। खैर चांद मोहम्मद अब फिर से चंद्र मोहन बिश्नोई बनकर सियासी रण में ताल ठोंक रहे हैं। अब नंबर है हरियाणा जन चेतना पार्टी के मुखिया विनोद शर्मा का जो बेटे की सजा पर कोर्ट के काम में दखल न देने से खफा होकर पार्टी को अलविदा कह दिए और नई पार्टी का गठन कर मुख्यमंत्री बनने का सपना देख रहे हैं ताकि कानून का गला घोटकर अपने बेटे को सलाखों से बाहर निकाल सकें। वहीं गीतिका शर्मा को आत्महत्या करने के लिए मजबूर करने के आरोप में जमानत पर बाहर चल रहे गोपाल कांडा भी सत्ता के सिंहासन पर काबिज होने का दम भर रहे हैं। उन्होने भी हरियाणा लोकहित पार्टी का गठन किया और अपने उम्मीदवार उतार कर बहुमत की आस में हैं। वैसे भी हरियाणा की सियासत में जिन दलों का वजूद है। उन सभी के पांव अपराध की दलदल से ही निकलते हैं। जो निकलने की कोशिश करेंगे भी तो और फंसते चले जाएंगे। जब सियासत की जड़ ही अपराध की दलदल से निकल रही है। तो उसकी शाखाएं दलदल को दरिया बनाने की चाहत रखती है। यहां की सियासत में बाप नंबरी तो बेटा दस नंबरी वाली कहावत को चरितार्थ करती है।

Wednesday 1 October 2014

राजनीति में रिटायरमेंट ना...बाबा...ना...

हिंदुस्तान की राजनीति में रिटायरमेंट नाम का कोई शब्द नही है...तभी तो 80 साल की उम्र के बाद भी एनडी तिवारी जैसे नेता चुनाव लड़ने की इच्छा रखते हैं..जबकि वो ठीक से ना सुन सकते हैं, ना बोल सकते हैं, और ना चल सकते हैं फिर भी दिल है कि मानता नही..सत्ता का रंग ही ऐसा है, जिस पर एक बार ये रंग चढ़ जाए तो फिर उसकी जिंदगी के साथ ही उतरता है..इसके बाद भी जाते जाते अपने परिवार को उस रंग में रंग जाता है यानि कई पीढ़ियों तक उसका रंग नही उतरता है..इतना ही नही उस रंग को बनाए रखने के लिए ये नेता इधर से उधर पाला बदलते रहते हैं, ऐसे नेताओँ को पार्टियां भी गले लगाकर उन्हे अपनी पार्टी का उम्मीदवार बना देते हैं..और जो कार्यकर्ता उस क्षेत्र के लिए उस पार्टी के लिए लंबे अरसे से काम करता है, उसे दरकिनार कर दिया जाता है जिससे सभी दलों के कार्यकर्ताओं का मनोबल टूट जाता है तो कुछ राजनीति को अलविदा कर देते हैं..जिससे युवाओं को राजनीति में समुचित भागीदारी नही मिल रही है..जब नेता वरिष्ठ हो जाते हैं उनका कद और भी बढ़ जाता है..जबकि वरिष्ठ नेताओं को एक निश्चित समय के बाद युवा नेताओं का मार्गदर्शन करना चाहिए..

सत्ता की भूख

हरियाणा की धरती चुनावी तपिश से झुलस रही है। लेकिन उस तपन की गर्मी सत्ता पाने की गर्मी के आगे फीकी पड़ती जा रही है और सत्ता के चक्रव्यूह को तोड़ने के लिए सभी दलों के उम्मीदवार अपने अपने शस्त्र चला रहे हैं। बड़े बड़े वादे किए जा रहे हैं। लोगों को विकास का आइना दिखाया जा रहा है। ताकि सत्ता का ताला खोलने के लिए जनता उनके चुनाव निशान पर अपनी मुहर लगा दे। 15 अक्टूबर को मतदान के साथ ही जनता अपने वोट की ताकत से सत्ता के सिंहासन का भविष्य ईवीएम में बंद करेगी। और 19 अक्टूबर को ईवीएम के खुलने के साथ ही सत्ता के सरताज का दीदार होगा।