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Monday 19 May 2014

बदलाव की राजनीति

देश भर में नरेंद्र मोदी की ऐसी लहर चली कि कुछ दलों की ना साख बची ना पात। जाति धर्म के नाम पर राजनीति करने वालों को इस बार जनता ने ऐसा स्वाद चखाया कि कई सालों तक उनके मुंह की कड़वाहट नही जाएगी। ऐसा करके जनता ने साबित कर दिखाया की देश का युवा अब अपना भला बुरा सोचने लायक बन गया है। हालांकि इतने परिवर्तन की किसी ने कल्पना नही की होगी कि उत्तर प्रदेश में अपनी हनक रखने वाले दल सावन के पतझड़ की तरह पेड़ से अलग हो जाएंगे। लेकिन हुआ ऐसा ही । अब इस हार से जहां अपनी राजनीतिक पहचान खोने वाले नेताओं को सबक लेने की जरूरत है वहीं बीजेपी को भी इस बदलाव से सबक लेने की जरूरत है।

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