प्यार किसी को किसी से हो सकता है, किसी भी उम्र में हो सकता है, किसी भी रूप में हो सकता है, पर न जाने क्यों हर किसी के जेहन में प्यार की सिर्फ एक ही परिभाषा गूंजती है कि प्यार का अर्थ सेक्स है, जबकि प्यार के अनेकों रूप हैं, प्यार के सेक्सी कलंक ने आधा-अधूरा नहीं बल्कि पूरी तरह से प्यार की हत्या कर चुका है। ये सवाल बार-बार परेशान करता था, जिसका सच जानने की कई बार वो कोशिश भी करता, पर कुछ सोचकर रुक जाता, लेकिन एक दिन उसने ठान लिया कि प्यार की कलंकित परिभाषा का सच जानकर ही रहेगा.
उस दिन वह बड़ा लंबा सफर करके लौटा था, आंखों में नींद और टूटते बदन उसे बेहद परेशान कर रहे थे, उस वक्त वह बिल्कुल तन्हा था, तभी उसके मन में ये खयाल आया कि चलो आज परिभाषा की भाषा को समझते हैं। फिर उसने ढाई अक्षर का संदेश तीन लोगों को भेजा, जिन पर उसका भरोसा मुकम्मल था, उसके बाद एक ने तो भरोसे का ही कत्ल कर डाला, जबकि दूसरा खंजर लेकर खोजने निकल पड़ा और तीसरे ने जैसे देखकर भी अनदेखा कर दिया, यानि कोई रिएक्शन नहीं दिया।
उस संदेश को भेजने के बाद जो सवाल उठे, उसने उसे बुरी तरह झकझोर दिया, जो अब तक आंख बंदकर भरोसा करते थे, वो अब उसमें शक और वहसीपन देखने लगे थे, उसने उन लोगों को समझाने की भी कोशिश की, पर कोई समझने को कोई तैयार ही नहीं, ये तो वही हाल हुआ कि जैसे दूध की टंकी में दो बूंद नीबू निचोड़ने के बाद दूध किसी भी दशा में दूध नहीं रह जाता, ठीक वैसे ही जो अब तक दूध सा शुद्ध और पोषक था, उसमें अब शक का नीबू पड़ चुका था।