अबकी बार मोदी सरकार...अच्छे दिन आने वाले हैं...इन
शब्दों की गूंज लोकसभा चुनाव अभियान में टेलीविजन, समाचार पत्रों, लाऊड स्पीकरों
पम्पलेटों दिखाई औऱ सुनाई पड़ती रही। मोदी चुनाव प्रचार के समय देशभर में घूम घूम
कर अच्छे दिन आने वाले हैं का नारा लगाते नहीं थक रहे थे। इस नारे से ही जनता की
उम्मीदों को मानों पंख लग गये और देश की सत्ता मोदी के हाथों में सौंप दी। अब वही
मोदीजी जनता को महंगाई का तोहफा हर दिन दे रही है। सुनो सुनो प्रधानमंत्री जी मेरी
आवाज सुनो...लेकिन ये क्या प्रधानमंत्री जी आप तो अभी से ही उसी जनता के विश्वास का
कत्ल करने लगे हैं। जिस जनता के जनादेश के बदले आप इतना इतरा रहे हैं। सत्ता की
कमान आपके हाथों में है। बहुमत भी है। विपक्ष और सहयोगियों के दबाव का कोई बहाना
भी नही हैं। फिर भी आपके वादे क्यों धूल फांक रहे हैं। तो क्या आपने भी सत्ता तक
पहुंचने के लिए झूठा और फरेबी वादा किया था...?या यूं
समझ ले कि झूठ बोलो जोर से बोलो चिल्लाकर बोलो तो लोग विश्वास कर
लेंगे क्या आपने ये सोचकर तो नहीं किया वादा...डीजल...पेट्रोल...रसोई
गैस…प्याज और रेल किराए में बढ़ोत्तरी से जनता पहले भी
परेशान थी और अब भी त्राहिमाम कर रही है। प्रधानमंत्री जी कहां गया आपका
वादा...क्या आपको अब जनता की चीख नहीं सुनाई पड़ रही है। सुनाई भी क्यों पड़े। आप तो
जनता से मिले बहुमत की सत्ता के मद में चूर हैं। खैर समय से ताकतवर कोई नही होता
समय के आगे सब धराशायी हो जाते हैं। और जनता जब बगावत पर उतरती है तो सत्ता कितनी
भी ताकतवर हो बुनियाद तक हिलाकर रख देती है। प्रधानमंत्री जी आप क्यों भूल रहे हैं
कि यूपीए की सरकार में महंगाई बढ़ाने पर आपकी पार्टी देश भर में आंदोलन संसद में
हंगामा आदि करते थे तब आप भी आलोचना करने से नहीं चूकते थे। अब क्या हुआ
प्रधानमंत्री जी यहां तो वही कहावत कहनी पड़ रही है कि ‘दूसरों को नसीहत खुद मियां फजीहत’ अब बीजेपी सरकार अच्छे दिन के नाम पर जनता को मंहगाई का करंट सटा रही है।
क्यों प्रधानमंत्री जी अब आप भी महंगाई पर खुद को फेल समझ रहे हैं।
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