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Monday 23 February 2015

राहुल की छुट्टी

दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के मंदिर में पूजा शुरू हो गयी है...लेकिन इस पूजा में कांग्रेसी युवराज राहुल गांधी गैरहाजिर रहेंगे...रहें भी क्यों ना ये तो उनकी मर्जी है...जनता ने तो वोट देकर भेजा था...कि संसद में उनके हित की वकालत करेंगे...लेकिन ये साहब तो अपना हित साधने के लिए छुट्टी पर निकल पड़े...वैसे भी संसद के सत्र के दौरान खर्राटे भरते रहे हैं...तो ऐसे में रहे या न रहें क्या फर्क पड़ता है...कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी कोप भवन में चले गए हैं...वो भी ऐसे समय में, जब संसद का बजट सत्र चल रहा है...लेकिन राहुल कैकेयी के रोल में नहीं है...बल्कि चुनावी हार पर चिंतन और मंथन के लिए छुट्टी पर जा रहे हैं...कांग्रेस की हार का सिलसिला यूं तो पिछले साल से बदस्तूर जारी है...लेकिन दिल्ली चुनाव के नतीजों ने मुंह छुपाने को मजबूर कर दिया है...तो उनके भरोसेमंद सिपाही उनके बचाव में खड़े हो गए...कांग्रेस के युवराज मन बहलाने के लिए छुट्टी पर हैं...ये बात सत्तारूढ़ दल को हजम नहीं हो रही...कि आखिर सत्र के दौरान मन बहलाना जरूरी क्यों हो जाता है...जब जनहित के मुद्दों पर सदन में चर्चा हो रही हो...भला राहुल को इसी वक्त छुट्टी की जरूरत क्यों पड़ी...क्या कांग्रेस में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा...सवाल है कि क्या राहुल नाराज होकर छुट्टी पर गए हैं...या पार्टी में राहुल को उतनी छूट नहीं मिल रही है जैसा वो चाहते हैं?...क्या कांग्रेस के बड़े नेता उनके खिलाफ षड़यंत्र करते हैं...या पार्टी की गुटबाजी से परेशान हैं?...क्योंकि हर हार के बाद कांग्रेस दफ्तर के बाहर प्रियंका लाओ कांग्रेस बचाओ के पोस्टर से राहुल आहत हैं...कांग्रेस के इस जख्म पर बीजेपी नमक छिड़कने में पीछे कैसे रहती और व्यंग करते हुए कहा कि संसद में राहुल गांधी का काम ही कुछ नहीं तो फिर छुट्टी पर रहें या कोपभवन में कोई फर्क नहीं पड़ता..

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