मंदिरों और घाटों की छटा पर इतराती काशी लंबे
वक्त से खांसी से परेशान है..लेकिन इसकी तरफ देखने की जहमत कोई नहीं उठाना
चाहता...धार्मिक नगरी काशी में बाबा विश्वनाथ और काशी हिन्दू विश्वविद्यालय सारनाथ
समेत प्राकृतिक सौंदर्य हर किसी को बरबस ही खींच लाता है...लेकिन वाराणसी में जिस
तरह की लूट खसोट मची है...उससे परिचित शख्स कभी काशी में कदम नहीं रखेगा...स्टेशन
पर उतरते ही ठगों का जाल काम करने लगता है...एक के बाद एक ठग बारी बारी से पास
जाते रहते हैं...और जेब तो दूर गला काटने से भी परहेज नहीं करते...इस काम में
उत्तर प्रदेश की मक्कार पुलिस भी बखूबी साथ निभाती है...वाराणसी से नरेंद्र मोदी
के चुनाव जीतने और प्रधानमंत्री बनने के बाद थोड़ी उम्मीद जगी थी कि शायद अब काशी
के माथे से दगाबाजी का कलंक मिट जाएगा...लेकिन ये तो और तेजी से पनपने लगा...अब तो
झूठ पर झूठ बोला जाता है...दस रूपए का सामान बताकर 40 रूपए वसूलने का सिलसिला हर
दिन उड़ान भरता है...काशी प्रशासन से लेकर यूपी सरकार और केंद्र सरकार तक सब मौन
है...यूपी सरकार तो पर्यटन का ढिंढोरा पीटते नहीं थकती...लेकिन कभी पर्यटकों को
होने वाली परेशानी पर चिंतन मंथन नहीं करती...करे भी क्यों और कैसे...जिसके जिम्मे
सेवा सद्भाव सुरक्षा की जिम्मेदारी है वही लुटेरा बन गया है तो फिर भगवान ही बचाए
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