ये
हिंदुस्तान की राजनीति है...यहां हर नेता सियासी रसूख का भूखा है...सियासी चमक से
ही उसकी भूख मिटती है...प्यास बुझती है...उस रसूख के लिए कुछ भी कर गुजरता है...जिससे
उनके दिल को सुकून मिलता है...फिर क्या अपना और क्या पराया...जब दिल भर जाए तो
नीति और नीयत अपने आप ही बदल जाती है...30 सालों से कांग्रेस की सेवा करने वाली
जयंती नटराजन का दिल भी पार्टी से भर गया तो...पत्रों के जरिए अपने दिल का दर्द
बयां कर रहीं हैं...दर्द नहीं सह पाई तो कांग्रेस को ही अलविदा कह दिया...नटराजन
तो बिना नया ठिकाना ढूंढे पुराना घर छोड़ चलीं...उनका कद भी इतना छोटा नहीं है...कि
कोई उन्हें पनाह देने से मना कर सके...कांग्रेस का मजबूत पाया हटा तो पूरी इमारत
हिल गयी...अब सत्तारूढ़ बीजेपी कांग्रेसी किला ढहाने को तैयार है...जयंती पर अब
सीबीआई का फंदा भी पड़ सकता है...कांग्रेस पर हमले को आतुर बीजेपी को मौका क्या
मिला पूरी पार्टी एक साथ कांग्रेस पर हल्ला बोलकर पूर्व यूपीए सरकार के कार्यकाल
में कामकाज के तरीकों पर सवाल उठा रही है...जयंती अब राहुल के गले की फांस बन गयी
है... क्योंकि कांग्रेस की बची कुची इज्जत को भी बाजार में सरेआम कर दिया...वैसे
भी पार्टी की कश्ती मझधार में हिलोरे ले रही है...अब तो लगता है कि कश्ती मझधार
में ही रह जाएगी क्योंकि जिसके सहारे कश्ती थी एक एक कर दूर होते चले जा रहे हैं...और
ये लेटर बम कितने लोगों को उठाता है...ये तो वक्त ही बताएगा...लेकिन राहुल
गांधी पर जो आरोप लगा है...उससे बीजेपी को ऐसा अस्त्र मिल गया है जिससे वो चुनाव
क्या, हर दिन-दिनदहाड़े कांग्रेस का कत्ल करेगी और कांग्रेस को बचाने के लिए न तो
पुलिस होगी और न ही कचहरी...अवसरवाद के बिना राजनीति का वजूद अधूरा लगता है...यही
वजह है कि कांग्रेस का पेड़ अपने सियासी बुढ़ापे की ओर क्या बढ़ा...कि पहले एक-एक कर उसके पत्ते गिरे तो अब टहनियां भी पेड़ का साथ छोड़ने लगी हैं.
कांग्रेस के इस बगीचे और इन गिरते पेड़ों को संभालने की जिम्मेदारी जिस माली और
बाग की देखभाल जिस चौकिदार के कंधों पर थी ... वो जिम्मेदार लोग ही देश के सबसे
पुराने बगीचे को उजाड़ने में लगे हैं...अब बाग के चौकिदार “राहुल” को इस बाग की मकड़ी “जंयती नटराजन” ने अपने मकड़जाल में फंसाया है...तो
चौकिदार “राहुल” के कई चूहे “दिग्विजय सिंह” उस मकड़जाल को कुतरने कि कोशिश कर रहें हैं..लेकिन उस चूहे “दिग्विजय सिंह” के दांतों में वो दम नहीं हैं कि
वो उस जाल को काट सकें... मकड़ी “जंयती नटराजन” को उस बाग में परेशानियां हुई तो उसने बाग को छोड़ने की
रणनीति बनाई और एक मकड़जाल बनाया... मकड़ी के जाल से 130 साल पुराने बाग की बुनियाद
तक हिल गयी...
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