यूं तो हर साल 14 नवंबर को देश में प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर
लाल नेहरू की जयंती मनाने की परंपरा है...ये दिन बाल दिवस के नाम से भी विख्यात
है...लेकिन इस बार जयंती पर सियासत का ऐसा रंग चढ़ा...जिस पर चौतरफा खींचतान मची
है...जिसे देख नेहरू जी की आत्मा भी रो रही होगी...कि उनकी विरासत के लिए किस कदर
उन्हे उनके ही घर से बेगाना किया जा रहा है...विरासत पर मचे कोहराम के बीच हर कोई
उनकी विरासत को हथियाने का दम भर रहा है...महापुरूषों की विरासत को खिसकता देख
कांग्रेस भी पशोपेश में है...और उसी विरासत को बचाने के लिए कांग्रेस ने अपने
अधिवेशन से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बायकॉट कर दिया...तो सत्तारूढ़ बीजेपी
सरकार ने महापुरूषों की विरासत पर डाका डालना शुरू कर दिया..विदेश प्रवास पर चल
रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तो देश के बाहर भी नेहरू जी का गुणगान किया...और
नेहरू जयंती पर कार्यक्रमों का अंबार लगाते हुए कांग्रेस को एक बार फिर उसी के
अस्त्र से उसी को मात देने का सफल प्रयोग किए...भले
ही एनडीए की तरफ से कोई शांतिवन नहीं पहुंचा लेकिन लोहे को काटने के लिए लोहे का
इस्तेमाल जरूर किया...इससे पहले भी बीजेपी राष्ट्रपिता महात्मा
गांधी...जनआंदोलन के अगुआ लोकनायक जय प्रकाश नारायण....देश के प्रथम गृहमंत्री लौह
पुरूष सरदार बल्लभ भाई पटेल...और डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्ण की विरासत अपने नाम
कर चुकी है...लेकिन नेहरू की विरासत पर दशकों तक सत्ता का सुख भोगने वाली कांग्रेस
केंद्र को बेपर्दा करने के लिए दो दो हाथ करने को तैयार हो गयी...राष्ट्रपति प्रणब
मुखर्जी...उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी...पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह...कांगेस
अध्यक्ष सोनिया गांधी...उपाध्यक्ष राहुल गांधी समेत तमाम हस्तियों ने नेहरू जी को श्रद्धां
सुमन अर्पित किया...इससे इतर एनडीए का कोई भी नेता शांतिवन नही पहुंचा...लेकिन देश
के अलग अलग हिस्सों में कार्यक्रमों के जरिए नेहरू जी को याद जरूर किया...नेहरू जी
को अपनी 125वीं जयंती शायद ही कभी भूले...क्योंकि पहली बार जयंती पर
श्रद्धासुमन के बदले बिखरता हिंदुस्तान देख उनकी आत्मा आहत होगी...और चाचा नेहरू
का दुख देख देश का मुस्तकबिल भी हैरत में होगा...
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