एक शब्द भी अपने खिलाफ बर्दाश्त नहीं कर पाने वाली बीजेपी इस पोस्टर पर अवार्ड देगी? किसी के दावे को दिखाने-बताने पर पत्रकारों को हथकड़ी लगवाने वाली बीजेपी एक महिला मुख्यमंत्री की गरिमा भंग करने पर कार्रवाई करेगी? महिला मुख्यमंत्री हो या साधारण नागरिक, इस तरह दबोचना और उसे प्रचारित करना महिला जाति का महिमामंडन है? समाज के ऐसे 'जानवरों' को जेल में जगह नहीं मिलने पर जंगल में छोड़ देना चाहिए?
जिस बात पर पत्रकारों की गिरफ्तारी की गयी है, उसमें किसी ने अपनी तरफ से कुछ जोड़ा नहीं है, बल्कि उस महिला की बात को ही आगे बढ़ाया है. महिला ने कथित तौर पर खुद को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से प्रेम संबंध होने का दावा किया था, साथ ही ये भी कहा था कि पिछले एक साल से वह वीडियो कॉलिंग के जरिये योगीजी से बात कर रही है, लेकिन अब वह उनसे मिलकर अपनी बात कहना चाह रही थी, जिसके लिए उसने सीएम से मिलने की अनुमति भी मांगी थी.
हालांकि, योगीजी के चरित्र पर किसी को संदेह नहीं हो सकता है, लेकिन महिला किन परिस्थितियों में मीडिया के सामने आयी, क्या उसकी मानसिक स्थिति ठीक नहीं है, या किसी के उकसावे या बहकावे में आकर उसने ऐसा किया, इस बात की जांच करने की बजाय उत्तर प्रदेश सरकार और पुलिस उस वीडियो को शेयर करने वालों पर शिकंजा कसने लगी, जबकि योगीजी को भी इस साजिश की जांच करानी चाहिए कि कहीं उनके अपने ही तो नहीं उनकी पीठ में छुरा घोंपने में लगे हैं.
ये कोई नई बात नहीं है, ऐसे आरोपों से कम लोग ही बच पाते हैं, कुछ समय पहले ही कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर भी एक महिला ने आरोप लगाया था कि राहुल ने उससे शादी करने का आश्वासन दिया था और वह उनसे शादी करके घर बसाना चाहती थी, राहुल गांधी के बच्चे की मां बनना चाहती थी, ये खबर मीडिया की सुर्खियां बनीं, सोशल मीडिया को तो मानो खजाना ही मिल गया था, लेकिन इस खबर पर किसी ने आपत्ति नहीं जताई। मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की निजी तस्वीरें किसने शेयर की, पर इन सबसे किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि सत्ता के आगे किसी का आत्मसम्मान मायने नहीं रखता।
कहते हैं जाकी पांव न फटी बिवाई सो का जाने पीर पराई। सोनिया गांधी को बार डांसर, मायावती को वैश्या, नेहरू को अय्याश, गांधी को देशद्रोही बताने वाले कौन लोग हैं, क्या सरकार को ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करनी चाहिए, या शासन को अपने अलावा और किसी के आत्म सम्मान की चिंता नहीं है। यदि पहले ऐसे आरोपों पर कार्रवाई हुई होती तो आज कोई भी इस वीडियो को शेयर करने की हिम्मत नहीं करता. पर ऐसा संभव इसलिए नहीं था क्योंकि ये लोग सत्ता में नहीं थे, अभी हाल ही में बीजेपी की महिला कार्यकर्ता ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का मीम शेयर किया था, जिसके चलते उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था. तब कौन चिल्ला रहा था।
योगी के चरित्र पर किसी को शक नहीं है और होना भी नहीं चाहिए, लेकिन पिछले कुछ सालों में जिस तरह के खुलासे हुए हैं, उससे किसी बात को कोई आसानी से गले नहीं उतार सकता. चाहे आसाराम हों, या उनके बेटे नारायण साईं, राम रहीम हों या रामपाल, सिर्फ इनके नाम का जिक्र करने भर की देरी है, इसके बाद हर किसी के जेहन में इनके कारनामों का काला चिट्ठा हवा में तैरने लगेगा, सत्ता में रहने पर सबने इस तरह की पाबंदी लगाई और विपक्ष में रहने वाला ऐसी कार्रवाई को तानाशाही और आवाम की आवाज दबाने वाली कार्रवाई बताता है, जबकि सत्ता में आने के बाद वह भी वही करता है. यूपीए की सरकार में भी नेहरू का कार्टून बनाने के चलते असीम त्रिवेदी को गिरफ्तार किया गया था।
कई बार ऐसा लगता है कि धर्म की आड़ में अधर्म का ही व्यापार चल रहा है, मंदिर-मस्जिद, चर्च जैसी धार्मिक इमारतें अधर्म का अड्डा बन गयी हैं और उनके संरक्षक पंडित, मौलवी, पादरी बन गये हैं, जिनके संरक्षण में ये व्यापार दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की कर रहा है और हर मुद्दे को धर्म का चोला ओढ़ा दिया जा रहा है। पिछले कुछ सालों से ऐसा ही हो रहा है, हर जख्म पर धर्म का रंग चढ़ाया जा रहा है, हर घटना को हिन्दू-मुसलमान बनाया जा रहा है. बस मानवता का रंग छोड़कर बाकी हर रंग समाज में बहुतायत में उपलब्ध है।
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