Search This Blog

Wednesday 1 October 2014

राजनीति में रिटायरमेंट ना...बाबा...ना...

हिंदुस्तान की राजनीति में रिटायरमेंट नाम का कोई शब्द नही है...तभी तो 80 साल की उम्र के बाद भी एनडी तिवारी जैसे नेता चुनाव लड़ने की इच्छा रखते हैं..जबकि वो ठीक से ना सुन सकते हैं, ना बोल सकते हैं, और ना चल सकते हैं फिर भी दिल है कि मानता नही..सत्ता का रंग ही ऐसा है, जिस पर एक बार ये रंग चढ़ जाए तो फिर उसकी जिंदगी के साथ ही उतरता है..इसके बाद भी जाते जाते अपने परिवार को उस रंग में रंग जाता है यानि कई पीढ़ियों तक उसका रंग नही उतरता है..इतना ही नही उस रंग को बनाए रखने के लिए ये नेता इधर से उधर पाला बदलते रहते हैं, ऐसे नेताओँ को पार्टियां भी गले लगाकर उन्हे अपनी पार्टी का उम्मीदवार बना देते हैं..और जो कार्यकर्ता उस क्षेत्र के लिए उस पार्टी के लिए लंबे अरसे से काम करता है, उसे दरकिनार कर दिया जाता है जिससे सभी दलों के कार्यकर्ताओं का मनोबल टूट जाता है तो कुछ राजनीति को अलविदा कर देते हैं..जिससे युवाओं को राजनीति में समुचित भागीदारी नही मिल रही है..जब नेता वरिष्ठ हो जाते हैं उनका कद और भी बढ़ जाता है..जबकि वरिष्ठ नेताओं को एक निश्चित समय के बाद युवा नेताओं का मार्गदर्शन करना चाहिए..

No comments:

Post a Comment