2-3 जुलाई की रात कानपुर के चौबेपुर थाना क्षेत्र के बिकरू गांव में करीब 60 मामलों में वांछित गैंगस्टर विकास दुबे को गिरफ्तार करने गई पुलिस के साथ हुई मुठभेड़ में सीओ सहित आठ पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे, तब से विकास दुबे बड़े से बड़े अखबारों और न्यूज चैनलों की हेडलाइंस से नीचे उतरा ही नहीं। हां, 8 पुलिसकर्मियों की शहादत से महकमे की आंखों में खून जरूर उतर आया था और पुलिस चुन-चुन कर उसके गुर्गों को मौत की नींद सुलाने लगी। उसके घर गाड़ी सबकुछ पुलिस तहस नहस कर डाली, वो भी गुंडों की तरह।
इस बीच पुलिस और खुफिया तंत्र को धता बताते हुए विकास यूपी हरियाणा दिल्ली राजस्थान और एमपी पुलिस को चकमा देते हुए 9 जुलाई की सुबह महाकाल मंदिर पहुंच गया और मंदिर में करीब 2 घंटे तक बेखौफ घूमता रहा, फिर फर्जी आईडी पर वीआईपी दर्शन के लिए लाइन में भी लग गया था, चेक प्वाइंट को पार भी कर लिया, फिर को कुछ पूछने के लिए सुरक्षा कर्मी के पास जाता है, तब शक होने पर गार्ड उसे पकड़ लेता है तो चिल्लाता है कि मैं विकास दुबे हूं कानपुर वाला। फिर पुलिस उसे थाने ले गई, एक तरह से प्लानिंग के साथ विकास दुबे ने सरेंडर कर दिया। पुलिस और सरकार अपनी पीठ ठोक रही है कि हमने गिरफ्तार किया है, जिसकी सबसे पहले पुष्टि एमपी के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने ट्वीट कर की थी।
अब इस गिरफ्तारी की थ्योरी को थोड़ा समझते हैं कि दो जुलाई की रात जब पुलिस विकास को गिरफ्तार करने जा रही थी, उससे पहले उसके पास थाने से फोन जाता है कि पुलिस तैयार हैं और आपका एनकाउंटर भी कर सकती है तो सूचना देने देने वाले को बदले में जवाब मिला कि आने दो कफन में लपेट कर भेजूंगा और हुआ भी ठीक वैसे ही उसने 8 पुलिसकर्मियों को शहीद कर दिया, जबकि जख्मी भी हो गए और रात को ही विकास दुबे वहां से फरार हो गया, वह भी तब जब पुलिस ने पूरे इलाके को सील कर रखा था।
इतनी सख्ती के बावजूद घटना के करीब तीन-चार दिन बाद पुलिस को फरीदाबाद में उसके होने की जानकारी मिली, फरीदाबाद पुलिस वहां दबिश देने पहुंची लेकिन खाली हाथ लौटना पड़ा था, पुलिस उस होटल के मालिक और उसके बेटे को कानपुर ले गई, जिसके अगले दिन उसके बेटे का एनकाउंटर कर देती है, जबकि उसके एक दिन पहले हमीरपुर में विकास दुबे के राइट हैंड अमर दुबे को पुलिस ठिकाने लगा चुकी थी। इसी साल जून के आखिर में शादी हुई थी, इस शादी में विकास दुबे के डांस का एक वीडियो भी वायरल हो रहा है, लेकिन पूरा पुलिस तंत्र अब तक विकास दुबे को खोजने में नाकाम साबित हो रहा था।
उज्जैन पुलिस गिरफ्तारी के बाद विकास दुबे को यूपी एसटीएफ को सौंप दी, 9 जुलाई की शाम को यूपी एसटीएफ उज्जैन से विकास दुबे को लेकर चलती है और 10 जुलाई की सुबह कानपुर की सीमा में प्रवेश करने के बाद पुलिस की गाड़ी पलट जाती है और विकास दुबे पुलिस की पिस्टल छीनकर भागने लगता है, इस दौरान वह फायरिंग भी करता है और आत्मरक्षा में पुलिस गोली चलाती है और वह घायल हो जाता है, पुलिस उसे कानपुर के हैलट अस्पताल ले जाती है, जहां डॉक्टर उसे मृत बता देते हैं। इस तरह पुलिस अपना बदला तो पूरा कर लेती है, पर कानून और संविधान को लॉकअप में बंद करके।
विकास दुबे से किसी को सिम्पैथी नहीं है, जो को किया था उसको उसे है भरना था, पर पुलिस को न्यायिक सिस्टम को थोड़ी देर के लिए लॉकअप में बंद करके ये रिस्क लेना पड़ा क्योंकि उसे पता था कि कोर्ट कचहरी से उसे सजा दिलाने में जाने कितना इंतजार करना पड़े और वो पुलिस की आंखों में रोजाना शूल की तरह चुभता रहे, दूसरा ये कि विकास दुबे का मुंह खुलने से कितनों का मुंह बंद हो सकते थे और कितने खाकी से लेकर खादी तक दागदार हो जाते। इसलिए पुलिस को हड़बड़ी में ये गड़बड़ी करनी पड़ी।
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