ये है दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का सबसे बड़ा मंदिर...लेकिन
ये अपने ही पुजारियों की कारगुजारी से शर्मिंदा है...इस मंदिर का कपाट जब खुलता है,
तो जनता की नजरें उम्मीद की आस में उसके चौखट पर रहती हैं...कि वहां से उसे क्या सहूलियत
मिलने वाली है...लेकिन जनता के मुकद्दर में तो मायूसी और छलावे के सिवा कुछ नहीं
लिखा...यही वजह है कि जिस मंदिर में जनता के सुख चैन पर चर्चा होनी चाहिए उसमें
सिर्फ बर्खास्तगी की मांग पर जनता की गाढ़ी कमाई का हर दिन करोड़ों रूपए स्वाहा हो
रहा है...सदन के बाहर और भीतर जो सियासी ड्रामा चल रहा है..उससे देश ही नहीं
दुनिया भी हैरान है...क्योंकि पहले तो काले धन पर शाल ओढ़कर हंगामा...कभी काला
छाता लेकर सदन की गरिमा को तार तार करना...और अब तो सालों बाद कांग्रेसी राजकुमार
भी नींद से जाग गए हैं...अब नींद से जागे हैं तो नई ताजगी और उर्जा से ओतप्रोत
हैं...लेकिन मुंह आज भी ढका है...ये मुंह खुलेगा भी तो केंद्रीय मंत्री साध्वी
निरंजन के इस्तीफे के बाद...क्योंकि इस्तीफा देते ही हिंदुस्तान की तस्वीर और
तकदीर बदल जाएगी...यही
वजह है कि जानवरों का चारा खा जाने वाले लालू यादव भी संतों को जेल भेजने की मांग
करते हैं...क्या करें विचारे मोदी की सुनामी में गैर एनडीए दल तबाह हो गए...लिहाजा
उस जख्म को भरने के लिए नीतीश, लालू, देवगौड़ा, मुलायम सब एकजुट होकर खुद को जनता
का सबसे बड़ा हितैषी बता रहे हैं...और दिल्ली में केंद्र सरकार के खिलाफ हल्ला
बोलेंगे...इसके पीछे भला जनता का नहीं होना है बल्कि उनको अपनी खोई जमीन पाने की चिंता
है...जिसके लिए ये दिखावा करने जा रहे हैं...क्योंकि हर चुनाव में गैर बीजेपी दलों
की सियासत धरातल में धंसती चली जा रही है...बाबरी एक्शन कमेटी के मुद्दई शाहिद
अंसारी मुकदमा वापस लेने का एलान किए तो मानों मुलायम सिंह की छाती पर सांप लोटने
लगा...क्योंकि मुसलमान भले ही रामलला को महलों में देख सकते हैं...अयोध्या में राम
मंदिर बनते देख सकते हैं...लेकिन अगर मुलायम रामलला को आजाद देख लिए तो उनके उपर
सांप्रदायिकता का छींटा जो पड़ जाएगा...अब कांग्रेस के साथ साथ महागठबंधन भी मोदी
के विजय रथ को रोकने निकलेगी...इसके पीछे मंसा सिर्फ अपनी सियासत बचाना है...यही
विपक्ष का काम है कि देश हित में सरकार को कदम उठाने पर मजबूर करे...साध्वी के
इस्तीफे से देश का विकास हो रहा है तो भला विपक्ष अपने कर्तव्यों से कैसे बच सकता
है...क्योंकि यही तो जनता के असली मसीहा हैं सरकार तो बस नाम की होती है...असली
काम तो विपक्ष का होता है...वो भी जिसके पास विपक्ष में बैठने भर का समर्थन भी
नहीं होता...फिर भी मुंह से मुंह नही हारता...चार दिन बीत गए हंगामा अब भी जारी है...और
विपक्ष प्रधानमंत्री की सफाई से भी इत्तेफाक नहीं रखता..क्योंकि उसे इस्तीफे से कम
कुछ भी मंजूर नहीं है...और कांग्रेस राजकुमार रोज-रोज नये अवतार में नजर आ रहे
हैं...तो सरकार ने भी जाति के कवच से विपक्ष के हर वार को रोकने लगी...और कांग्रेस
के धरना प्रदर्शन को रोकने के लिए सरकार भी धरने पर बैठ गयी...ताकि राहुल गांधी का
मुंह खुलवा सके...साध्वी के बयान पर जनता की गाढ़ी कमाई के
हजारों करोड़ लुट गए...और हंगामा करने वाले खुद को जनता का मसीहा बता रहे
हैं...लेकिन अवाम की कमाई पर डाका डालने वाले ये मसीहा किसी लुटेरे से कम नहीं
है...क्योंकि बेतुके बोल की कालिख से हर दल का चेहरा काला हुआ पड़ा है...हजारों
बार बदजुबानी से न जाने कितनों का सीना छलनी हुआ है..लेकिन क्या करेंगे साहब अपने
चेहरे का दाग किसे नजर आता है...यहां तो वही कहावत चरितार्थ हो रही है...कि दूसरों
को नसीहत और खुद मियां फजीहत...अच्छा होगा
यदि भगवान इन नेताओं को
सदबुद्धि दे देते...तो कम से कम 120 करोड़ जनता ठगे जाने से बच जाती...
No comments:
Post a Comment