600 लोगों को मौत की नींद सुलाने वाले इंडियन मुजाहिद्दीन के सह संस्थापक यासिन भटकल पर शिकंजा कसते ही हमारे रहनुमा
राजनीतिक रंग देने में जुट गए। सपा नेता कमाल
फारुकी ने पूछा कि भटकल की गिरफ्तारी गुनाह के आधार पर हुई है या धर्म के आधार पर...लेकिन
जब मौत का खूनी खेल खेला जाता है उस समय उनकी जुबान पर ताला क्यों लग जाता है। कमाल
साहब आपकी तो सरकार है और आपकी सरकार भी उसी धर्म की वकालत करती है जिस धर्म से आप
आते है अच्छा होता कि आप आरोप लगाने के बजाय सरकार से उसे समाजसेवी होने का
प्रमाणपत्र दिला देते। जबकि सुशील मोदी ने “इशरत जहां को बेटी बताने वाली जेडीयू यासीन भटकल को बिहार का दामाद
भी घोषित कर सकती है” अंततः ये बात समझ में नही आती कि आखिर हर मुद्दे हर
सवाल हर आरोप को हमारे रहनुमा धर्म जाति का रंग दे देते हैं। जो आने वाले समय में भयानक तस्वीर बनाता दिखाई दे रहा है
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