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Tuesday 15 May 2012

अजूबा


एंकर-वैसे तो देश में 7 अजूबे है...लोगों इसे देश की धरोहर भी मानते है... लेकिन क्या कोई इनकी सुरक्षा पर भी ध्यान देता है... नहीं क्योकि इसका जीता-जागता प्रमाण है हमारे पास... लोग केवल इन अजूबों से अपना लुत्फ उठाते है...ना कि इनकी देखरेख पर ध्यान देते है...पेश है एक रिपोर्ट
वीओ-देश के 7 अजूबों में अजूबा है ताजमहल...जिसे लोग प्यार की निशानी कहते है...लेकिन क्या कोई इस निशानी पर भी ध्यान देता है...लोगों की शौक अब इस संगमरमरी महल पर भारी पड़ रही है...सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को हवा में उड़ाते हुए यलो जोन में... खुलेआम सिगरेट के छल्ले उड़ाए जा रहे हैं... पर्यटकों द्वारा फूंकी गई हजारों सिगरेट का धुआं... ताज के साथ आमजन को भी प्रभावित कर रहा है... सार्वजनिक स्थल पर सिगरेट पीना कानूनन अपराध है... लेकिन नगर निगम, एडीए और पर्यटन विभाग ने यहां... साइन बोर्ड लगाने की जहमत तक नहीं उठाई है...
संगमरमरी हुस्न मेहमानों के सामने खूबसूरत दिखे, इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट की पैनी नजर है। शहर से ईंट-भट्ठों को बाहर और औद्योगिक इकाइयों को बंद करा दिया गया। ताज के 500 मीटर का ऐरिया यलो जोन में घोषित किया गया। प्रदूषण न हो इसको लेकर यहां वाहनों का प्रवेश भी वर्जित है। इससे इतर सिगरेट के छल्ले, जलता कूड़ा और ताजगंज की मलिन बस्ती में कोयले और लकड़ी का प्रयोग खुलेआम हो रहा है।ताजमहल पर प्रतिदिन करीब 25 हजार पर्यटक आते हैं। डीएफएमडी पर चेकिंग कर रहे सीआईएसएफ के जवानों ने बताया कि लगभग हर भारतीय पुरुष और हर दसवीं महिला पर सिगरेट और बीड़ी मिल जाती है। वहीं विदेशी मेहमानों पर 60 और 40 अनुपात निकलता है। उन्होंने बताया कि ताज को नुकसान न हो इसलिए अंदर सिगरेट, बीड़ी, पान मसाला प्रतिबंधित है।ताजमहल में किसी पर्यटक का औसत समय करीब दो घंटे है। ताज में धूम्रपान नहीं करते पाते तो जैसे ही ये पर्यटक बाहर निकलते हैं उसे सिगरेट पीने की ललक उठती है। पर्यटक ताज के गेट से निकलते ही सिगरेट सुलगा लेता है। इस तरह से ताजमहल के यलो जोन में हजारों सिगरेट धुआं फेंकते हैं। कम से कम 25 हजार तो है ही और आगे की बात रखें तो ताजगंज क्षेत्र में करीब 50 हजार सिगरेट धुआं उगल रहे हैं।
पत्थर पर एक रस्सी भी निशान कर देती है। परिवेशी वायुगुणता वातावरण को प्रभावित निश्चित तौर पर करती है। एक साथ हजारों सिगरेट अगर ताजमहल के आसपास फूंकी जाएंगी तो स्मोकिंग का असर स्थानीय नागरिकों पर भी पड़ेगा।
बीबी अवस्थी, उप्र प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी

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