भोपाल। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव की घोषणा बस होने भर की देर है, यानि किसी भी वक्त चुनाव आयोग चुनावी दुम्दुभी बजा सकता है. लिहाजा सूबे में सत्तारूढ़ बीजेपी और विपक्षी दल कांग्रेस भी जनता से वादों और दावों का दम दिखाने लगी है, अब इन वादों और दावाों का असर वोटरों पर कितना पड़ता है, ये तो भविष्य के गर्त में है. पर इतना जरूर है कि दोनों दलों में एक दूसरे का गढ़ भेदने की होड़ लगी है.
पिछले 14 सालों से मध्यप्रदेश में सत्ता का वनवास काट रही कांग्रेस इस बार जीत का दम बड़ी शिद्दत से भर रही है और उसे भरोसा भी है कि शिवराज के कुशासन और भ्रष्टाचार से जनता ऊब चुकी है, जिसका फायदा उसे आगामी चुनाव में मिलेगा. हालांकि, माहौल इतना अनुकूल होने के बावजूद भी प्रदेश की 31 विधानसभा सीटें कांग्रेस के गले की फांस बनी हैं, जहां कांग्रेस एड़ी-चोटी का जोर लगाकर भी पिछले पांच चुनावों में वहां खाता तक नहीं खोल सकी है. ऐसे में कांग्रेस इन सीटों पर इस बार हर हाल में ये तिलिस्म तोड़ने की कोशिश में है.
पिछले तीन चुनावों से लगातार हार का मुंह देख रही कांग्रेस के लिये यह चुनाव किसी अग्नि परीक्षा से कम नहीं है. लेकिन, सूबे की 31 सीटों पर कांग्रेस को पिछले पांच चुनावों से हार का सामना करना पड़ा रहा है. इन सीटों पर पार्टी ने हर दांव-पेंच आजमाया. लेकिन, उसके प्रत्याशियों को एक बार भी जीत मयस्सर नहीं हुई. 6 अंचलों में बंटी सूबे की सियासत में हर अंचल की चार-पांच सीटों पर कांग्रेस हर बार चुनाव हार जाती है.
इन सीटों पर पांच बार से लगातार हार रही कांग्रेस
बुंदेलखंडः सागर, रहली, दमोह, मलेहरा, महाराजपुर
विंध्यः रैगांव, रामपुर बघेलान, सिरमौर, त्यौथर, देवतालाब
ग्वालियर-चंबलः अंबाह, मेहगांव, शिवपुरी, अशोकनगर, पोहरी
मध्यभारतः गोविंदपुरा, सोहागपुर, विदिशा, शमशाबाद, सीहोर, सारंगपुर, आष्टा,
मालवा-निमाड़ः देवास, हरसूद, खंडवा, बुरहानपुर, इंदौर-2, इंदौर-4
महाकौशलः जबलपुर कैंट, बरघाट, सिवनी
विंध्यः रैगांव, रामपुर बघेलान, सिरमौर, त्यौथर, देवतालाब
ग्वालियर-चंबलः अंबाह, मेहगांव, शिवपुरी, अशोकनगर, पोहरी
मध्यभारतः गोविंदपुरा, सोहागपुर, विदिशा, शमशाबाद, सीहोर, सारंगपुर, आष्टा,
मालवा-निमाड़ः देवास, हरसूद, खंडवा, बुरहानपुर, इंदौर-2, इंदौर-4
महाकौशलः जबलपुर कैंट, बरघाट, सिवनी
इन सभी सीटों पर कांग्रेस को पिछले पांच चुनावों में लगातार हार मिली है. इन चुनावों में दो बार कांग्रेस ने सूबे में सरकार भी बनाई है. लेकिन, वह इन गढ़ों में सेंध लगाने में अब तक कामयाब नहीं हो सकी है.
सीटें जीतने के लिये कांग्रेस बना रही रणनीति
2018 के चुनावी दंगल में इस बार कांग्रेस इन सभी सीटों को जीतने के लिये पूरा जोर लगाती नजर आ रही है. लिहाजा, कांग्रेस इन सीटों पर केवल उन प्रत्याशियों को उतारने का मन बना रही है. जिनके चुनाव जीतने के पूरे आसार नजर आते हैं. अंदाजा लगाया जा रहा है कि कांग्रेस इन सीटों पर युवाओं को तरहीज देने के मूड में है. यही वजह है कि राहुल गांधी से लेकर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमनलाथ तक सूबे के सभी अंचलों पर नजरें गड़ाये हुए हैं, ताकि इस बार इन सीटों पर हार का तिलिस्म तोड़ा जा सके.

No comments:
Post a Comment