भोपाल। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव भले ही एक-एक कदम नजदीक आता जा रहा है, पर नेता रोजाना चार-चार कदम आगे बढ़ रहे हैं. यही वजह है कि राजनीतिक गलियारों में ज्यादा उथल-पुथल मची है. कौन कब किसका मुरीद हो जाये और कब किससे किसका मोह भंग हो जाये, किसी को कानो-कान खबर तक नहीं होती. खबर तब होती है जब भंडा फूटता है. इसका नजारा राजधानी भोपाल में देखने को मिला, जहां कुछ वक्त पहले तक बीजेपी का गुणगान करने वाले कम्प्यूटर बाबा अचानक अपनी कार से राज्य सरकार का स्टीकर उतरवाने लगे.
दरअसल, कम्प्यूटर बाबा ने मध्यप्रदेश सरकार के राज्य मंत्री (दर्जा प्राप्त) पद से इस्तीफा दे दिया, इसके पीछे उन्होंने साधु-संतों का दबाव बताया क्योंकि वह साधु संतों की आवाज नहीं बन पा रहे थे, लिहाजा साधु संतों ने उनसे कहा कि जब आपकी बात सरकार नहीं सुनती तो आपको सरकार का चमचा बनने की जरूरत नहीं है, जिसके चलते उन्होंने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया. इस्तीफा उन्होंने लिखित में सीएम कार्यालय को भेज दिया और सरकारी सुविधाएं भी तत्काल छोड़ दी. यहां तक कि उन्होंने अपनी कार पर लगे राज्य सरकार के स्टीकर का भी नामो निशान तक मिटवा दिया और जब तक उनके पास से पूरी तरह राज्य सरकार का एक-एक निशान नेस्त नाबूद नहीं हुआ, वह वहीं डटे रहे.
गौरतलब है कि इसी साल अप्रैल में मध्यप्रदेश सरकार ने कंप्यूटर बाबा, नर्मदानंद महाराज, हरिहरनंद महाराज, पंडित योगेंद्र महंत और भय्यूजी महाराज को राज्यमंत्री का दर्जा दिया था, जबकि भैय्यूजी महाराज ने मंत्री का दर्जा लेने से मना कर दिया था. हालांकि उसके बाद 12 जून को भय्यूजी महाराज ने इंदौर स्थित अपने आवास में खुद को गोली से उड़ा लिया था.
कम्प्यूटर बाबा शिवराज सिंह की नर्मदा सेवा यात्रा के बाद नर्मदा घोटाला रथ यात्रा निकाल रहे थे, उनके साथ साधु-संतों की पूरी फौज थी, यहां तक की पोस्टर बैनर सब छप गये थे. लेकिन यात्रा शुरू तो हो गयी पर चार कदम भी नहीं चल सकी और नर्मदा घोटाला रथ यात्रा वापस वहीं पहुंच गयी, जहां से चली थी और उस यात्रा को आगे बढ़ाने वाले खुद बढ़कर सरकारी तंत्र में शामिल हो गये. हालांकि अब कम्प्यूटर बाबा की नाराजगी के कई मायने निकाले जा रहे हैं.
कम्प्युटर बाबा की बात करें तो उनका असली नाम देव त्यागी है. बाबा खुद बताते हैं कि उनका दिमाग कम्प्युटर की तरह काम करता है और याद्दाश्त भी तेज है. इसलिए उनका यह नाम पड़ा है. हमेशा लैपटॉप भी अपने साथ रखकर चलते हैं. दिलचस्प बात यह है कि बाबा राज्य मंत्री बनने से पहले शिवराज सरकार के खिलाफ नर्मदा घोटाला रथ यात्रा निकाल रहे थे. लेकिन, जैसे ही उन्हें राज्यमंत्री का दर्जा मिला तो उन्होंने यात्रा स्थगित कर दी और राम भजन की जगह बीजेपी भजन करने लगे.
सोमवार को बाबा ने अचानक इस्तीफा देकर सबको हैरान कर दिया क्योंकि इससे पहले किसी तरह की नाराजगी की बात सामने नहीं आयी थी. लिहाजा यह इस्तीफा राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बना है. इस बीच एक सवाल यह उठता है कि शिवराज सरकार को कोसने वाले बाबा ने राज्यमंत्री का पद ग्रहण ही क्यों किया था. पहले बाबा जिस सरकार से लड़ रहे थे, वही बाबा अचानक से सरकार के इतने मुरीद कैसे हो हुए और जब मुरीद हुए तो इतनी जल्दी दिल कैसे टूट गया. अब ये कयास लगाये जा रहे हैं कि क्या बाबा आगामी विधानसभा चुनाव में ताल ठोंकने के लिए ये सब कर रहे हैं. अब सवाल है कि बाबा बीजेपी को चुनेंगे या फिर बीजेपी को चुनौती देंगे.

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