ग्वालियर। जब कोई बड़ा पेड़ गिरता है, आसपास के आशियानों को धराशायी कर देता है, फिर उसकी स्मृतियां लंबे समय तक लोगों के जेहन में जिंदा रहती हैं। ऐसे ही भारतीय राजनीति के वटवृक्ष के धराशायी होने पर चारो ओर मातम पसरा है, लोग अटलजी की छोटी से छोटी यादों को भी साझा कर रहे हैं। ऐसा लगता है कि मौजूदा सावन काली घटाएं नहीं बल्कि काल लेकर आयी और अपने साथ इन हस्तियों को लेकर चली गयी।
16 अगस्त की शाम 5 बजकर पांच मिनट पर पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी ने दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में आखिरी सांस ली। इसके साथ ही खामोश हो गयी वो अटलवाणी, जो अपनों के साथ-साथ गैरों के भी दिलों पर राज करती थी, पक्ष के साथ विपक्षी भी उनकी तारीफ करते नहीं थकते थे। अटलजी दुनिया से रुखसत होकर भी एक जननेता, कवि, प्रखर वक्ता के रूप में अमर हो गये। ग्वालियर में 25 दिसंबर 1924 को शुरू हुए अटल सफर 16 अगस्त 2018 को पूर्ण विराम लग गया।
13 अगस्त 2018 की सुबह सोमनाथ चटर्जी का कोलकाता के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया, 12 अगस्त को उन्हें दिल का दौरा पड़ने के बाद अस्पताल में वेंटिलेटर (लाइफ सपोर्ट सिस्टम) पर रखा गया था, वो भी एक मझे हुए राजनेता व कानूनविद थे। चटर्जी 1971 से 2009 तक लोकसभा सांसद रहे, इस दौरान जाधवपुर लोकसभा क्षेत्र से 1984 में केवल एक बार उन्हें ममता बनर्जी से मात खानी पड़ी थी। 1996 में उन्हें बेहतरीन सांसद का खिताब मिला था।
सोमनाथ की बेबाक शैली के कायल थे लोग
सोमनाथ चटर्जी का जन्म 25 जुलाई 1929 को हुआ था, उनके पिता एनसी चटर्जी हिन्दू महासभा से जुड़े थे, उन्होंने ब्रिटेन के मिडल टेंपल से बैरिस्टर की पढ़ाई की थी। उन्होंने अपने पिता की मौत के बाद रिक्त हुई सीट पर चुनाव लड़ा था, यूपीए वन में सोमनाथ चटर्जी लोकसभा अध्यक्ष बने थे, तब 2008 में अमेरिका के साथ हुए परमाणु समझौते के बाद सीपीएम में उन्हें इस्तीफा देने को कहा था, तब उन्होंने कहा था कि लोकसभा अध्यक्ष किसी पार्टी का नहीं देश का होता है।
द्रविड़ राजनीति के बड़े स्तम्भ थे करुणानिधि
दक्षिण भारत की राजनीति के मुख्य स्तंभ और तमिलनाडु के 5 बार मुख्यमंत्री रहे एम. करुणानिधि का लंबी बीमारी के बाद 7 अगस्त 2018 की शाम 6:10 बजे चेन्नई के कावेरी अस्पताल में अंतिम सांस ली। इसी साल 3 जून को करुणानिधि ने अपना 94वां जन्मदिन मनाया था, 50 साल पहले 26 जुलाई, 1969 को उन्होंने डीएमके की कमान अपने हाथों में ली और तब से मरते दम तक पार्टी के मुखिया बने रहे। उनके नाम जीत का भी रिकॉर्ड है, 12 बार विधानसभा चुनाव लड़े और हर बार जीत हासिल की थी।
इंदिरा की सरकार में सबसे ताकतवर थे धवन
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के निजी सचिव रहे कांग्रेस नेता आरके धवन का 81 की उम्र में निधन हो गया। दिल्ली के बीएल कपूर अस्पताल में 6 अगस्त की शाम लगभग सात बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। धनव 1990 में राज्यसभा सांसद चुने गए। कई संसदीय समितियों में शामिल रहे। धवन ने जुलाई 2012 में 75वें जन्मदिन पर 15 साल छोटी अचला से पहली शादी की थी। धवन 1962 से इंदिरा गांधी के साथ थे। 1984 में इंदिरा पर हमले के वक्त उनके साथ मौजूद थे। जब इंदिरा को अस्पताल ले जाया गया, तब धवन भी अस्पताल गए थे। बाद में इस मामले में गवाह बने। धवन इमरजेंसी के दौरान इंदिरा के चुनिंदा नेताओं में शामिल थे। उनका पूरा नाम राजिंदर कुमार था। 16 जुलाई 1937 को पाकिस्तान के चिनोट में उनका जन्म हुआ था और विभाजन के बाद भारत आ गये थे।
नहीं रहे बलरामदास टंडन
छत्तीसगढ़ के राज्यपाल बलराम दास टंडन का 14 अगस्त को दोपहर रायपुर के आंबेडकर अस्पताल में निधन हो गया। जनसंघ के संस्थापक सदस्य और भाजपा के वरिष्ठ नेता रहे टंडन ने 18 जुलाई 2014 को छत्तीसगढ़ के राज्यपाल का पद संभाला था। अपने राजनीतिक करियर में टंडन पंजाब के उप मुख्यमंत्री सहित विभिन्न पदों पर रहे। छह बार विधायक रहे टंडन आपातकाल के दौरान 1975 से 1977 तक जेल में भी रहे। टंडन का जन्म एक नवंबर 1927 को पंजाब के अमृतसर में हुआ था।
अजीत वाडेकर का निधन
पूर्व भारतीय टेस्ट कप्तान और पूर्व चीफ सिलेक्टर अजीत वाडेकर का 15 अगस्त 2018 को दोपहर बाद 77 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। मुंबई के जसलोक अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली। वाडेकर अपने दौर के उम्दा लेफ्ट हैंड बल्लेबाजों में शुमार थे। उन्होंने भारत के लिए 37 टेस्ट मैच और 2 वनडे मैच खेले। अजीत का जन्म एक अप्रैल 1941 में मुंबई में हुआ था, वाडेकर ने 1966 से 1974 तक अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेला, अपने प्रथम श्रेणी क्रिकेट की शुरुआत 1958 में की थी, जबकि अंतरराष्ट्रीय करियर की शुरुआत 1966 में की थी।

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