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Thursday 7 May 2020

LG Polimers: स्टाइरिन गैस लीक ने 35 साल पुराना जख्म हरा कर दिया

विशाापट्टनम में एक बार फिर गैस रिसाव की घटना सामने आई है, लीकेज दोबारा उसी जगह पर हुआ है, जहां गुरूवार तड़के हुआ था, मौके पर एनडीआरएफ की टीम मौजूद है, 50 दमकलकर्मियों के अलावा एंबुलेंस भी तैयार हैं, फॉम टेंडर को भी बुलाया गया है, कई किमी तक गांवों को खाली करा दिया गया है और रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है।
समुद्र तट पर बसे आंध्र प्रदेश के सबसे खूबसूरत शहर विशाखापट्टनम में 6-7 मई की रात 2.30 बजे विजाग स्थित एलजी पॉलिमर्स इंडिया की यूनिट से स्टाइरिन गैस रिसने लगी, जो गहरी नींद में सो रहे लोगों को सीधा मौत के मुंह में ले जाने लगी, पर मौत बांटती गैस के बारे में जानते जानते सुबह हो गई और सूरज की किरणों के साथ ही बेसुध लोग सड़कों पर बिछने लगे, आनन फानन में प्रशासन ने बचाव कार्य शुरू किया। फिर भी 13 जिंदगियां मौत की आगोश में समा गई हैं और 300 लोग जिंदगी के लिए जंग लड़ रहे हैं।
कोरोना वायरस की चेन तोड़ने के लिए लॉकडाउन किया गया, पर इस लॉकडाउन से अर्थव्यवस्था पर कभी न खुलने वाला ताला जड़ जाने की आशंका के चलते लॉकडाउन 3 को कुछ शर्तों के साथ छूट दी गई, ताकि ठप पड़ती अर्थव्यवस्था को जिंदा रखा जा सके, इसके बाद ही इस यूनिट को भी चालू किया गया, पर यूनिट के चालू होते ही गैस रिसाव ने ये साबित कर दिया है कि पिछली घटना से  हमने सबक नहीं लिया, इस घटना ने एक बार फिर 35 साल पुराने जख्म को हरा कर दिया है, जब मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल कब्रिस्तान में तब्दील हो गई थी, 2-3 दिसंबर 1984  की दरम्यानी रात जब पूरा शहर गहरी नींद में सो रहा था, तभी यूनियन कार्बाइड की फ़र्टिलाइज़र फैक्ट्री से मिथाइल आइसोनाइट गैस का रिसाव हुआ और लाशों के ढेर लग गए, जो लोग बचे भी वो आज तक तिल तिल कर मर रहे हैं।
हालांकि विशाखापट्टनम में हुए इस हादसे को समय रहते नियंत्रित कर लिया गया है, प्रधानमंत्री से लेकर गृह मंत्री और मुख्यमंत्री तक इस घटना की पल पल की अपडेट लेते रहे, राज्य सरकार ने मृतकों के परिजनों को एक एक करोड़ रूपए मुआवजा और परिवार के एक सदस्य को उसी कंपनी की किसी यूनिट में नौकरी दिलाने का वादा किया है। एलजी पॉलिमर्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड की स्थापना 1961 में हिंदुस्तान पॉलीमर्स ने किया था, जिसका 1997 में दक्षिण कोरियाई कंपनी एलजी ने अधिग्रहण कर लिया था।
हाईकोर्ट ने इस मामले पर स्वत: संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है कि केमिकल फैक्ट्री को रिहायशी इलाकों में किस नियम के तहत स्थापित करने की मंजूरी दी गई है, जबकि जोखिम वाली यूनिट को हमेशा शहर के बाहर लगाया जाता है, ताकि ऐसी स्थिति में कम से कम जनहानि हो।
स्टाइरिन गैस मूल रूप में पोलिस्टाइरिन प्लास्टिक और रेजिन बनाने में इस्तेमाल होती है यह रंगहीन या हल्का पीला ज्वलनशील लिक्विड होता है, इसकी गंध मीठी होती है, इसे स्टाइरोल और विनाइल बेंजीन की कहा जाता है, बेंजीन और एथिलीन के जरिए इसका औद्योगिक मात्रा में बड़े पैमाने पर उत्पादन किया जाता है, स्टाइरिन का इस्तेमाल प्लास्टिक और रबर बनाने में किया जाता है।
स्टाइरिस अगर हवा में मिल जाए तो यह नाक और गले में जलन पैदा करती है, इससे खांसी और गले में तकलीफ होती है साथ ही फेफड़े में पानी भरने लगता है, अगर स्टाइरिन ज्यादा मात्रा में सांस के जरिए शरीर में पहुंचती है तो यह स्टाइरिन बीमारी को जन्म से सकती है, इसमें सिर दर्द जी मिचलाना थकान सिर चकराना कन्फ्यूजन और पेट में गड़बड़ी जैसी दिक्कतें होने लगती हैं, इसे सेंट्रल नर्वस सिस्टम डिप्रेशन कहा जाता है, कुछ मामलों में इस गैस के संपर्क में आने से दिल की धड़कन असामान्य होने और कोमा जैसी स्थिति तक बन सकती है।
महामारी विज्ञान में कई अध्ययनों से ये पता चला है कि स्टाइरिस के संपर्क में आने से ल्युकेमिया या लिंफोमा का भी खतरा बढ़ सकता है, पर इसे अभी पुख्ता तौर पर साबित नहीं किया जा सका है, जबकि इस गैस का असर लंबे समय तक नहीं रहता है कुछ विशेषज्ञ इस बात का भी दावा करते हैं, पर  कुछ लोग इस गैस से कैंसर फैलने का खतरा भी बताते हैं, ये गैस ऑक्सीजन के साथ रिएक्शन कर स्टाइरिन डाइऑक्साइड बनाती है, जो बहुत जानलेवा होती है, इस गैस के खतरे को देखते हुए इसे हैजार्ड्स एंड टॉक्सिक केमिकल के दर्जे में रखा गया है।

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