Monday 1 October 2018

MP: कांग्रेस से नाराज नहीं 'चाणक्य'! बीजेपी को चक्रव्यूह में फंसाने की है साजिश

भोपाल। मध्यप्रदेश में सियासत के रंग मौसम की तरह पल-पल बदल रहे हैं. बीजेपी-कांग्रेस एक दूसरे पर कीचड़ उछालने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है. साथ ही एक दूसरे को अपने-अपने चक्रव्यूह में फंसाने की तैयारी में हैं. दोनों दलों के दिग्गज चक्रव्यूह रचने में साम-दाम-दंड-भेद सारे हथकंडे अपना रहे हैं.

दरअसल, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के दौरे के दौरान उनके इर्द-गिर्द सिर्फ सिंधिया और कमलनाथ ही नजर आते हैं, जबकि चाणक्य दूर-दराज कहीं एकाध बार ही दिखाई पड़ते हैं. इसे कुछ लोग दिग्विजय सिंह की नाराजगी मान सकते हैं. पर ये नाराजगी से अधिक सियासी चाल है, जिसमें बीजेपी को कांग्रेस फंसाना चाहती है क्योंकि 6 जून को राहुल गांधी की मंदसौर रैली में भी दिग्विजय सिंह मंच पर तो थे, पर न ही वो राहुल गांधी के पास दिखे और न ही उन्हें बोलने का मौका मिला.

मंदसौर में चाणक्य की अनदेखी मान भी लिया जाय तो भोपाल और सतना-रीवा में भी दिग्विजय की सिर्फ एक झलक ही दिखी. ये झलक भी सिर्फ इसलिए थी कि किसी को ये शक न हो कि दिग्विजय सिंह नाराज हैं, बल्कि इससे लोग ये कयास लगायें कि दिग्विजय सिंह नाराज नहीं हैं बल्कि, उनकी अनदेखी की जा रही है. पर इसके पीछे की असल रणनीति ये है कि दिग्विजय सिंह को आगे करने पर बीजेपी 14 साल पुरानी कब्रें खोदनी शुरू कर देगी, जिससे पार पाना कांग्रेस के लिए मुश्किल होगा. लिहाजा राहुल गांधी दिग्विजय सिंह को जमीन पर उतारकर कमलनाथ-सिंधिया को रथ पर सवार कर लिये हैं.

कांग्रेस की व्यूह रचना ऐसी है, जिसमें बीजेपी का फंसना तय है, यदि बीजेपी कांग्रेस की चाल समझ गयी तो इस चक्रव्यूह को तोड़ सकती है, नहीं तो इस व्यूह से निकलना उसके लिए मुश्किल हो सकता है क्योंकि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की नर्मदा सेवा यात्रा के प्रभाव को दिग्विजय ने नर्मदा परिक्रमा के जरिए खत्म कर दिया और फिर उसके तुरंत बाद न्याय यात्रा के जरिए जमीनी थाह ली और उसके हिसाब से रणनीति बनाई और बीजेपी के विकास को आईना दिखाया, इसी रणनीति का हिस्सा है कि दिग्विजय सिंह कांग्रेस अध्यक्ष के दोनों विशेष कमांडो को कवर दे रहे हैं, ताकि दुश्मन के वार की दिशा को बदल सकें.

बीजेपी के सामने अब सिंधिया-कमलनाथ सीना ताने खड़े हैं और बीजेपी के पास सिंधिया को घेरने के लिए उनके राजसी ठाट और टशन के सिवाय कुछ नहीं है, जबकि कमलनाथ को घेरने के लिए भी बीजेपी के पास मुकम्मल मुद्दा नहीं है. यही यदि कांग्रेस दिग्विजय को आगे करती तो बीजेपी के पास मुद्दे ही मुद्दे रहते, जिसके जरिये वह कांग्रेस का जीना मुहाल कर देती. यानि दिग्विजय सिंह ने चुप रहकर भी बीजेपी को चुप करा दिया. इससे एक फायदा कांग्रेस को और भी है कि जब भी जरूरत होगी, दिग्विजय सिंह बीजेपी को उकसाने का भी काम करेंगे, ताकि बीजेपी असंयमित होकर विवादित टिप्पणी करे और कांग्रेस उसे बीजेपी की चाल, चरित्र, चेहरा बताकर जनता के बीच उसे खलनायक के तौर पर पेश कर सके.

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