Wednesday 21 March 2018

आपकी गुप्त जानकारियों को सियासी हथियार बना रहा फेसबुक!

टेलीफोन के आविष्कार ने फाइबर ऑप्टिक तार के जरिए दुनिया को एक सूत्र में पिरोया तो एंड्रॉयड फोन ने पूरी दुनिया को डिजिटल कर दिया और सोशल मीडिया डिजिटल दुनिया का वो बादशाह बन बैठा, जो एक झटके में किसी को भी राजा से रंक और रंक से राजा बना सकती है। यही वजह है कि पूरी दुनिया फेसबुक, ट्विटर जैसे सोशल साइट्स के मालिकों के हाथ की कठपुतली बन गई, जो किसी भी विचार को लोगों पर थोप देते हैं और उसे ऐसा करने के लिए मजबूर करते हैं। इसके लिए वो आपका गोपनीय डाटा चुराकर उसी से हथियार बनाते हैं, इस खुलासे से पूरी दुनिया हैरान है।

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पांच करोड़ उपभोक्ताओं के गोपनीय डाटा चोरी करने के मामले में फंसने के साथ ही फेसबुक अबतक की सबसे बड़ी मुसीबत में फंस गया है, जिसके चलते उसे हर सेकंड करोड़ों रुपए का नुकसान हो रहा है। साथ ही अमेरिका, ब्रिटेन, भारत और यूरोपियन यूनियन में खलबली मची है, सब के सब खौफ के साये में जी रहे हैं, कोई ये नहीं समझ पा रहा कि उसका डाटा कितना चोरी हुआ और कितना सुरक्षित है। लिहाजा पूरी दुनिया फेसबुक के मालिक मार्क जकरबर्ग से सवाल पूछ रही है कि आखिर इतने बड़े आरोप के बाद भी वो खामोश क्यों हैं, सामने आकर सफाई क्यों नहीं देते। यही नहीं फेसबुक की चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर भी चुप हैं, जबकि इन्हीं के पास जन संपर्क का दायित्व भी है। 
  
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इस खुलासे के बाद अमेरिका और ब्रिटेन की संसद में भी हंगामा मचा है, नई बहस छिड़ी है कि सुरक्षा को सुरक्षित करने के लिए और सख्त कानून बनाया जाये, वहीं भारत के कानून और सूचना प्रसारण मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने सख्त लहजे में कहा कि 'मार्क जकरबर्ग आईटी मिनिस्टर की बात कान खोलकर सुन लीजिए अगर भारतीयों के किसी भी तरह के डेटा की चोरी हुई तो सरकार छोड़ेगी नहीं और जकरबर्ग को भी भारत तलब किया जा सकता है। भारत में चुनावी प्रक्रिया में दखल देने की बात सामने आई तो किसी को भी बख्सा नहीं जायेगा। ऐसा उन्होंने इसलिए कहा है क्योंकि 2016 के अमेरिकी राष्ट्रपति के चुनाव में ट्रंप को जिताने में ब्रिटेन की कंपनी कैंब्रिज एनालिटिका ने पांच करोड़ फेसबुक यूजर्स का डाटा चुराया था।

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रविशंकर ने तो लोकसभा में कांग्रेस पर आरोप लगाते हुए कहा कि डाटा चोरी करने में कैंब्रिज एनालिटिका का नाम सामने आया है और मीडिया में खबरें आई हैं कि कांग्रेस अगले चुनाव में सत्ता में वापसी करने के लिए इसी कंपनी से मदद ले रही है, उन्होंने अखबारों का हवाला देते हुए कहा कि कैंब्रिज एनालिटिका अगले लोकसभा चुनाव के लिए संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की सोशल मीडिया स्ट्रैटेजी तय करेगा, इस पर कांग्रेस को जवाब देना चाहिए।

https://www.facebook.com/Champions-Square-936292473203652/ 

वहीं बीजेपी ने कांग्रेस से पूछा है कि क्या आपने डाटा चुराने वाली कंपनी से कोई सौदा किया है और हाल में ही संपन्न हुए गुजरात और हिमाचल प्रदेश के चुनावों में कैंब्रिज एनालिटिका की सेवाएं ली थी या नहीं। ये सवाल बेहद गंभीर है, लिहाजा इस मसले को केंद्र सरकार ने गंभीरता से लिया है, जबकि कांग्रेस ने कैंब्रिज एनालिटिका से किसी तरह का संबंध होने से इनकार किया है। साथ ही कहा है कि उसका कभी भी इस कंपनी से कोई रिश्ता नहीं रहा।

2017 के आंकड़ों पर नजर डालें तो अकेले भारत में ही 24 करोड़ से ज्यादा फेसबुक यूजर्स हैं, जबकि पूरी दुनिया में 3 अरब यूजर्स हैं जोकि पूरी दुनिया के यूजर्स का 11 फीसदी है। इसी के साथ ही भारत को सबसे बड़ा 'डाटा बाजार' भी कह सकते हैं। जहां हर साल कोई न कोई चुनाव होता ही रहता है। पिछले आम चुनाव में सोशल मीडिया कैंपेन को मिली अपार सफलता के बाद सभी पार्टियों की नजर सोशल मीडिया पर टिकी है। ऐसे में कैंब्रिज एनालिटिकल जैसी कंपनियों की नजर भारत पर है, वहीं अब हमारे और आपके सामने अपनी गोपनीय जानकारियां बचाए रखने की चुनौती है।

गोपनीय दस्तावेजों की चोरी और उसका इस्तेमाल भी इस शातिराना अंदाज से किया गया, जिसका पता लगाना भी बेहद मुश्किल था क्योंकि इसके लिए 2013 में कैंब्रिज एनालिटिका नाम से एक कंपनी बनाई गई, जिसका मकसद कंज्यूमर रिसर्च, एडवरटाइजिंग और डाटा से जुड़ी सर्विस पॉलिटिकल और कॉरपोरेट क्लाइंट को देना, पर इसी कंपनी की आड़ में इसके कर्ता-धर्ताओं ने पांच करोड़ उपभोक्ताओं की गुप्त जानकारी ही बेच डाली, आरोप तो ये भी लगाया जा रहा है कि इसी डाटा की बदौलत ट्रंप अमेरिका के राष्ट्रपति बने हैं, हालांकि चुनाव जीतने के बाद ट्रंप को पहले के मुकाबले अधिक विरोध झेलना पड़ा था।

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