Wednesday 20 January 2021

खुद में मोदी-योगी की छवि गढ़ते शिवराज सिंह

गीदड़ यह जानते हुए भी कि वह शेर नहीं बन सकता, फिर भी शेर बनने की एक्टिंग करने से नहीं चूकता, जब उस पर ये खुमारी छाती है तो वह अजीबो-गरीब हरकतें करने लगता है। ऐसा ही आजकल मध्यप्रदेश की सियासत में भी खूब चल रहा है। एक तरफ जहां ग्वालियर-चंबल अंचल में खुद को शेर साबित करने में सिंधिया-तोमर सवा शेर बन रहे हैं, वहीं शिवराज सिंह चौहान खुद में मोदी-योगी की छवि गढ़ने में व्यस्त हैं, जबकि उसी ग्वालियर-चंबल में बीजेपी के दो-दो शेरों को कांग्रेस गीदड़ बनाने की चाल चल रही है। कांग्रेस का ये मनोबल इसलिए भी बढ़ा है कि उपचुनाव में बीजेपी के दोनों शेर अपनी मांद बचाने में नाकाम रहे, बस यही जीत कांग्रेस के लिए संजीवनी साबित हो रही है।

पिछले कुछ दिनों से शिवराज सिंह अचानक से अक्रामक हो गए हैं, जबकि ऐसा पहले कभी नहीं था। ये बदलाव खुद से नहीं है, बल्कि खुद के लिए है। इसी बदलाव के जरिए शिवराज सिंह एक बार फिर खुद को मोदी के बराबर का कद कर रहे हैं, ताकि मोदी का ध्यान योगी से हटकर शिवराज पर आ जाये। यही वजह है कि आजकल शिवराज सिंह जालीदार टोपी की जाली को पूरी तरह से बंद करने में लगे हैं, जोड़ तोड़ गठजोड़ से 15 महीने बाद चौथी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद से ही शिवराज खुद को बदलने लगे, जो अब सरेआम नजर आने लगा है। चाहे धर्म स्वातंत्र्य कानून 2020 को लागू करने की जल्दबाजी हो या पत्थरबाजी के खिलाफ कानून बनाने की, जिसकी इतनी जरूरत भी नहीं थी, जितनी जल्दी इसे लागू कर दिया गया, खासकर पत्थरबाजी के खिलाफ कानून की आवश्यकता तो कतई भी नहीं है।

आजकल शिवराज सिंह बात-बात पर गाड़ दूंगा, मार दूंगा, मिट्टी में मिलाने जैसी बाते किसी भी मंच से कहते हुए सुने जा सकते हैं, बस ये चेतावनी सिर्फ बातों तक ही है या फिर विपक्ष या उल्टी विचारधारा वालों के लिए तक ही सीमित है क्योंकि पुलिस की कार्रवाई हो या सरकार की, सब पक्षपात के फीते से एक दूसरे से बंधे हैं, लेकिन मुरैना में जहरीली शराब पीकर 26 लोगों के मरने के बाद प्रदेश में शराब पर नई बहस छिड़ गई है और सबके अपने अपने सुर-ताल हैं। एक ओर जहां गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा कह रहे हैं कि प्रदेश में शराब की दुकानें बढ़ाई जाएंगी, वहीं मुख्यमंत्री कह रहे हैं कि अभी फिलहाल ऐसा कोई फैसला नहीं लिया गया है, इस सवाल पर फिर नरोत्तम मिश्रा दोहराते हैं कि वो अपने बयान पर कायम हैं कि प्रदेश में शराब की दुकानें बढ़ाई जाएंगी, जबकि आबकारी मंत्री को कुछ पता ही नहीं है और अब तो बीजेपी की फायर ब्रांड नेता उमा भारती ने एमपी में पूर्ण शराबबंदी की मांग कर सरकार को और परेशानी में डाल दी हैं।