Sunday 7 October 2018

बीजेपी-कांग्रेस के बीच विलेन बना तीसरा मोर्चा, बिगाड़ सकता है सियासी गणित

भोपाल. मध्यप्रदेश में औपचारिक रुप से चुनावी बिगुल बज चुका है. ऐसे में नए-नए सियासी समीकरण बनने बिगड़ने शुरु हो गये हैं. सूबे की सभी 230 विधानसभा सीटों पर इस बार जोरदार मुकाबला होने की उम्मीद है क्योंकि पिछले तीन चुनावों की अपेक्षा सूबे में इस बार कुछ ऐसे समीकरण बने हैं. जिसने प्रमुख दलों की नीद उड़ा दी है, जिसके एक कदम आगे बढ़ने से कोई भी कई कदम पीछे खिसक सकता है, जबकि कोई कई कदम आगे निकल सकता है.

सूबे में सतारूढ़ बीजेपी जहां सभी सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने जा रही है तो मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस भी सिसायी वनवास खत्म करने की जद्दोजहद में लगी है. लेकिन, इन सब के बीच मध्यप्रदेश में पहली बार तीसरा मोर्चा पूरी ताकत के साथ दमखम दिखाता नजर आ रहा है. जो बीजेपी और कांग्रेस दोनों के अरमानों पर पानी फेर सकता है.



इससे बीजेपी-कांग्रेस दोनों की मुश्किलें बढ़ जायेंगी
दरअसल, बसपा-सपा, गोंडवाना गणतंत्र पार्टी, आमआदमी पार्टी, सपाक्स, जयआदिवासी युवा संगठन के साथ अन्य कई छोटे-छोटे दल पूरी ताकत के साथ चुनावी समर में ताल ठोक रहे हैं. जिनका राज्य के कुछ-कुछ हिस्सों में मजबूत पकड़ है. वहीं, मतदान से पहले इन सभी दलों के बीच महागठबंधन होने के कयास भी लगाये जा रहे है, जबकि अगर ऐसा होता है तो इससे बीजेपी-कांग्रेस दोनों की मुश्किलें बढ़ जायेंगी.

अहम भूमिका में नजर आ सकता है तीसरा मोर्चा
प्रदेश में होने जा रहे सियासी दंगल में इस बार तीसरे मोर्चे की खास भूमिका होगी क्योंकि छः अंचलों में बटी सूबे की सियासत में हर छोटे-बड़े राजनीतिक दलों का अपना-अपना सियासी रसूख है, जो दिखाई भी देता है. पूरे महाकौशल अंचल में गोंगपा और बसपा का अच्छा खासा दबदबा माना जाता है तो इस बार जयस जैसे संगठन का दम भी कम नहीं है. वहीं, बात अगर बुंदेलखंड और विंध्य अंचल की हो तो इन दोनों ही जोन में बसपा और सपा मजबूत नजर आती है, जबकि ग्वालियर-चंबल अंचल में यूपी से सटी विधानसभा सीटों पर भी इन दोनों पार्टियों का अच्छा खासा प्रभाव है. बात अगर मालवा-निमाड़ और मध्यभारत की की जाये तो इस बार तीसरे मोर्चे की धमक इन दोनों अंचलों में भी जोर-शोर से सुनाई दे रही है. जिसने अभी से बीजेपी-कांग्रेस की परेशानियां बढ़ा दी है.

ऐसी होगी सूबे में तीसरे मोर्चे की तस्वीर
बात अगर तीसरे मोर्चे के स्वरुप की की जाये तो इसमें छोटी-बड़ी कई पार्टियां नजर आ सकती हैं. तीसरे मोर्चे में सबसे बड़ा रोल बसपा और सपा का होने वाला है क्योंकि यूपी के इन दोनों सियासी दलों की नजरें अब मध्यप्रदेश पर टिकी हैं, जबकि कई छोटी-छोटी पार्टियां जिनमें भारतीय शक्ति चेतना पार्टी, नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी, महान दल, राष्ट्रीय समानता दल, बहुजन संर्घष दल जैसी पार्टियां भी चुनावी समर में उतरेंगी. वहीं, चर्चा तो इस बात की भी है कि पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव की अगुवाई में इन सभी पार्टियों के बीच महागठबंधन भी हो सकता है. अगर ये महागठबंधन बनता है तो इसमें सपा-बसपा के भी साथ आने की उम्मीद जताई जा रही है. जोकि तीसरे मोर्चे को मजबूती प्रदान करेगी.

ये नया समीकरण बिगाड़ सकता है कांग्रेस-बीजेपी का खेल
इन पार्टियों में ऐसे सियासी सूरमा हैं, जिनकी अपने-अपने क्षेत्रों में अच्छी पकड़ है. ऐसे नेताओं में गोंगपा के हीरा सिंह मरकाम, सपा के प्रदेश अध्यक्ष गौरी सिंह यादव, बहुजन संघर्ष दल के फूल सिंह बरैया जैसे नेता अहम साबित हो सकते हैं. वहीं, इन सब के बीच आम आदमी पार्टी, सपाक्स पार्टी ने गठबंधन जैसी कोई बात तो नहीं की है. लेकिन, इन पार्टियों की तैयारियां मैदान में दम दिखाने की पूरी हैं. आप ने तो प्रदेश संयोजक आलोक अग्रवाल को मुख्यमंत्री उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतार दिया है और उम्मीदवारों की दो सूची भी जारी कर चुकी है. वहीं सपाक्स और जयस भी पूरी तरह से चुनावी तैयारियों में जुटे हैं. ऐसे में तीसरे मोर्चे का बनता सियासी समीकरण बीजेपी-कांग्रेस के चुनावी समीकरणों को बिगाड़ने में बड़ा रोल निभा सकती है, जबकि इतना तो तय है कि इस बार प्रदेश की सभी सीटों पर बीजेपी-कांग्रेस के साथ तीसरा प्रत्याशी भी मजबूत दिखाई दे सकता है.

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