Saturday 7 April 2018

उसकी परेशानियों ने मेरी नजर को दिया नया नजरिया

29 मार्च की वो शाम भी रोजाना की तरह बिल्कुल सामान्य थी, ऑफिस से लौटकर थकान मिटा ही रहा था कि तभी मोबाइल पर नजर पड़ी, व्हाट्सएप्प पर आया मैसेज पढ़ा तो दिल अचानक खुशी के मारे जोर-जोर से धड़कने लगा क्योंकि किसी दिल अजीज का संदेश आया था कि मुझे कुछ जरूरी बात करनी है, फ्री होकर मुझे फोन कर लेना। उस वक्त मैं भी कमरे पर अकेला ही था, पर खुद को फ्री महसूस नहीं कर रहा था, हालांकि, जल्दी-जल्दी मैने भी खुद को तमाम झंझावातों से आजाद कर लिया और उसको फोन किया तो थोड़ी देर तक नेटवर्क बंदर की तरह घुड़की देता रहा, उसकी हर घुड़की पर मेरा गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच जाता, फिर अगले ही पल खुद को शांत कर लेता कि शायद अब बात शुरू हो जाये, कई बार फोन कट करने के बाद ऑप्टिकल फाइबर की पाइप ने आखिरकार हमारी बातों को उसके पास और उसकी बातों को हमारे पास पहुंचाना शुरू कर दिया, थोड़ा हाल पूछने के बाद मैंने कहा कि हां, बताओ क्या बात है?

ये बात सुनते ही उसने कहा कि मैं अपने दिल में एक बात रखकर खुद को बोझिल महसूस कर रही हूं, लोगों के बीच रहकर हंस लेती हूं, पर जब अकेली होती हूं तो आंसुओं से नहा लेती हूं, रात में सोती हूं तो आंसुओं से तकिया भीग जाता है, मैं अंदर ही अंदर घुट रही हूं, किसी से कुछ कह नहीं पा रही हूं क्योंकि लोग मेरी बात सुनकर मजाक उड़ाएंगे तो कभी मुझको नीचा दिखाने की कोशिश करेंगे, पर मुझे विश्वास है कि आप मेरी इस परेशानी पर हसेंगे नहीं, बल्कि हमे संबल प्रदान करेंगे, इसलिए अपनी परेशानी आपसे शेयर करना चाहती हूं, मुझे आप पर विश्वास है कि आप मेरा सही मार्गदर्शन करेंगे और इस बात को अपने तक सीमित रखेंगे। जिस परिवेश में हम लोग रहते हैं वहां ज्यादातर चेहरों के पीछे दुशासन छिपा होता है, जबकि कोई कन्हैया शायद कहीं मिल जाये, ऐसे में द्रोपदी की इज्जत का क्या होगा, ये बात तो अब समझ में आ जानी चाहिए।

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उसकी बात सुनकर मैं ये सोचते हुए अंदर तक सिहर गया कि ऐसी कौन सी आफत आ गयी इस पर जो इतना भावुक हो रही है। खैर! मैं उसकी बातें सुनता जा रहा था और उसकी बातें सुनते-सुनते मैं अतीत के पन्ने भी पलटने लगा क्योंकि जब मैं उससे पहली बार मिला था, मन ही मन उसे चाहने लगा था, उसकी सादगी का तो मैं कायल था, उसके खिलते गुलाब जैसी खिलखिलाती हंसी के बीच चमकते दांत और पतले आकर्षक होंठ किसी को भी दीवाना कर सकते थे, ऊपर से सुरमयी आंखों के दोनों किनारों पर तैरती पलकों के अंदर से लगी पतली काजल की धार के बीच मानो समंदर की लहरें अलहड़ मस्ती में चूर होकर किनारों से टकरा रही हों जो एक बार भी उस गहराई में उतरता था, लाख कोशिशों के बावजूद भी वह उस सागर से निकल नहीं पाता था, ऊपर से जो जितना निकलने की कोशिश करता, उतना ही उन आंखों की गहराई में उतरता जाता था, इसके अलावा भी उसके शरीर की बनावट किसी सांचे में ढाल कर निकाली गई मूरत सी लगती थी, नागिन जैसे काले लंबे बाल, सुराहीदार गर्दन और कंचन सी काया और सैंडल की खिड़की से झांकती उसके पैरों की नेल पॉलिश लगी अंगुलियां देखते ही बनती थी।

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खैर! उधर से हेलो-हेलो की आवाज आती जा रही थी, तभी अचानक मेरे कानों में उसकी आवाज गूंजी, आप भी मेरी बात नहीं सुनना चाहते, यदि ऐसा है तो कोई बात नहीं है, मैं फोन रख देती हूं, तभी मेरी खामोशी टूटी और मैं झट से बोला कि नहीं...नहीं...बोलो मैं सुन रहा हूं, फिर अगले ही पल वो अपनी बात कहना शुरू कर देती है, उसकी एक एक बात पर मानो मैं दुखों के समंदर की गहराई में समाता जा रहा था, वो पीर तो पराई थी, पर जिसकी थी उसमें न जाने कैसा अपनापन था कि उसकी हर एक पीर मेरे मन-मस्तिष्क को कराहने के लिए मजबूर कर रही थी, मेरी हालत जिंदगी के लिए जंग लड़ते बिस्तर पर पड़े मरीज जैसी हो रही थी। पर ये सब सिर्फ मेरे मन मस्तिष्क में ही चल रहा था और उसकी हर बात को मैं गंभीरता से सुन रहा था, मैं खुद को अंदर से पत्थर की तरह मजबूत समझता था, पर उसका दर्द सुनकर मेरा पत्थर जैसा दिल भी दर्द से पिघलने लगा, जितनी उसकी बातें मेरे कानों में पड़ती जाती, उतना ही मेरा उसके प्रति नजरिया बदलता जाता। फिर धीरे-धीरे उसके दुखों को मैं महसूस करने लगा और प्यार का भूत उतरने लगा, अब मेरे दिमाग में ये चलने लगा कि यदि मैं बिना इजहार वाला प्यार उससे करता रहूंगा तो मुझे भी उसकी मजबूरियों का फायदा उठाने वालों की जमात में खड़ा होने में देर नहीं लगेगी। ये सोचकर मैने अपनी नजरों को नया नजरिया दिया और उसकी समस्याओं से निपटने का उपाय बड़े ही शिद्दत से ढूंढ़ने लगा।

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बात पूरी होने के बाद फोन कट किया, तब मैं पूरी रात सो नहीं पाया क्योंकि अजीब सी बेचैनी मुझे सोने नहीं दे रही थी, मेरी आंखों के सामने जैसे वही दृश्य चलचित्र की तरह चल रहे थे, फिर वो बातें मुझे लगातार बेचैन करती रहीं, मैं कई दिनों तक ठीक से सो नहीं पाया, हमारे साथी भी परेशान हो रहे थे कि कुछ तो बात है जोकि तुम्हे नींद नहीं आ रही। भले ही तुम छिपाते रहो, पर कब तक छिपाओगे, कभी तो बताओगे, हालांकि, इतना तो मैं कभी अपनी परेशानियों को लेकर भी परेशान नहीं हुआ, जबकि उसकी परेशानियां जैसे मेरे लिए भी नाक का सवाल बनती जा रही थी, जिससे मैं अनजाने में ही मोहब्बत कर बैठा था, अब उस प्यार की परीक्षा की घड़ी आ चुकी थी, उसको उसका घर भी वापस दिलाना था, साथ में उसका सम्मान भी लौटाना था। हालांकि तीन-चार दिन बाद मैंने उसका कुशल पूछने के लिए फोन किया, तब जाकर मुझे थोड़ा सुकून मिला और नींद भी आयी। आगे फिर कभी जब उससे बात होगी तो फिर मैं आगे का जिक्र जरूर करूंगा।

6 comments:

  1. Please see her again. I'm waiting for more outcome.

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  2. Bohut khub sir..aage ki baat kab hogi??

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  3. आप आगे की बात कल ही करो और जल्दी से लिखियेगा, बेसब्री से ििनतजार है

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  4. थोड़ी और देर फाइवर केवल का उपयोग कर लेते सर क्यूंकि आप दोनों की आपबीती सुनने के बाद अब मुझको नीद नहीं आ पा रही है। आख़िर क्या हुआ यैसा...

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  5. Aage ki story padhne ke liye bekrar hain sir

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