कांग्रेस पार्टी अब तक
130 बसंत देख चुकी है...और अब अपने सियासी बुढ़ापे की ओर बढ़ने लगी है...उसका
चेहरा भी बेनूर होता दिख रहा है...ऐसा लग रहा है कि कांग्रेस सियासी बनवास पर जाने
को तैयार है...कांग्रेस
अध्यक्ष सोनिया गांधी और कांग्रेस के इकलौते वारिस राहुल गांधी भी
प्रभाव हीन हो रहे हैं...अब ना नेहरू का दौर रहा और ना ही इंदिरा का...जो आजीवन हिंदुस्तान
पर राज करते रहे...वो एक दौर था जब कांग्रेस के छोटे से दफ्तर में भी दिन रात चहल
पहल रहती थी...आज बड़ा दफ्तर भी सन्नाटे में गुम है...लेकिन पार्टी का
130वां जन्मदिन था...तो थोड़ी रौनक तो बनती ही थी...लिहाजा कांग्रेस के कई दिग्गज
दफ्तर पहुंचे...कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पार्टी का झंडा फहराया तो वहां
मौजूद नेता बनावटी हंसी से खुश नजर आने की जद्दोजहद करने लगे...लेकिन इस खुशी में
भी पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी शरीक नहीं हुए...राहुल की गैर मौजूदगी
कार्यकर्ताओं और नेताओं को तन्हाई और मायूसी दे गया..पार्टी का एक एक किला ढहता जा
रहा है...मनोबल काफूर हो रहा है...पार्टी की कमान नए हाथ में सौंपने की मांग समय
समय पर प्रबल होती जा रही है...लेकिन परिवारवाद की जकड़न में फंसी कांग्रेस इस मोह
से उबर नहीं पा रही है...जिसका खामियाजा पार्टी के पतन के रूप में दिखाई पड़ रहा
है...साल 2014 अलविदा कहने को तैयार है...इसने कांग्रेस पार्टी को जो दर्द दिया
है...उसकी चीख सदियों तक सुनाई पड़ेगी...जिसने उसके विपक्ष में बैठने तक का अधिकार
छीन लिया...भले ही कांग्रेसी नेता बीजेपी पर सांप्रदायिकता का आरोप लगाते
रहे...लेकिन नरेंद्र मोदी की लहर पर जो जनादेश मिला उसने सियासत की परिभाषा ही बदल
दी...यहां तो चोर चोर मौसेरे भाई वाली कहावत सच साबित हो रही है...बीजेपी के खिलाफ
सभी दल एकजुट हो चुके हैं...लेकिन जनता को तो बस मोदी में ही रब दिखता है...
चांदी का चम्मच अकेला रह गया...
चमचे सभी धर्म परिवर्तन कर गए...
जो चांदी की प्लेट लेकर पैदा हुए थे...
वो चम्मच के मोहताज हो गए...
खाली केतली से गुजरी थी जिंदगी जिसकी....
वो प्लेट चम्मच के दुकानदार बन गए..
बहुत बढ़िया मालिक.......
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