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Wednesday 31 December 2014

दो पल 2014 के वास्ते

दोस्तों साल 2014 की तबियत नासाज है...4 घंटे बचे हैं...हमारा सभी से निवेदन है कि आखिरी चार घंटे बचे पल को यादगार बना लें...फिर किसी जन्म में भी इसका दर्शन दुर्लभ है...कि मौजूदा साल को यादगार बनाएं और 2015 के जश्न का जश्न मनाएं...इस मौके को जानें न दें...प्लीज...प्लीज...प्लीज...प्लीज...प्लीज...मां लक्ष्मी आप पर धन वर्षा करें...सरस्वती जी आपको ज्ञान का भंडार दें...और हम आपको नए साल में खुश रहने की कसम देते हैं...नव वर्ष मंगलमय हो....नया साल मुबारक हो...HAPPY NEW YEAR…नूतन वर्ष शुभ हो...एक बार फिर दिल से सभी दोस्तों और 120 करोड़ देशवासियों को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामना एक बार फिर तहे दिल से सभी दोस्तों और समस्त देशवासियों को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामना फिर अगले साल होगी मुलाकात हेलो हाय नमस्कार, आदाब, सत श्री अकाल


2014 अलविदा कह दिए, 2015 का स्वागत करते दिखे
लुटा गए जश्न में हजारों, जश्न का हुस्न बिखरा तो सब भूखे नंगे दिखे
हमने भी किया स्वागत 2015 का, पर जश्न में लुटाई नहीं फूटी कौड़ी
राह में मिलते गए भूखे नंगे, दी रोटी और चढ़ता गया पौड़ी-पौड़ी
क्रिसमस पर हमने, रोशनी में नहाया नया हिंदुस्तान देखा
बच्चों को उपहार देते हजारों सेंटा क्लॉज देखा
फिर भी भिखारी की कटोरी खाली रह गई
ग़रीबों के तन पर थे कपड़े पर उनमें भी जाली रह गई
गर्म कपड़ों के बिन गरीब मरते रहे
अमीर बच्चों को उपहार मिलते रहे
त्योहारों की चमक तो है सिर्फ अमीरों की खातिर
गरीबों को इतना संतोष है, मारे फिरते हैं वो बस बनके क़ाफ़िर
निवेदन आप से करता हूं, नए साल में लें नया शपथ
भूखों को रोटी दें जरूरत मंदों की करें मदद
मनाएं पूरे साल मिलकर जश्न, करें एक दूजे की मदद
                                         भीम चंद
मां का आंचल मिल जाए तो असीम सुकून मिलता है
मिले बीवी का जो दामन चेहरा झुलस जाता है
मां जो रख दे सर पर हाथ तन मन पुलकित हो जाए
रखे जो हाथ बीवी तो बदन में आग लग जाए
मां के सामने तो लफ्ज भी आजाद लगते हैं
सामने बीवी आ जाए तो अल्फाज भी गुलाम लगते हैं
                               भीम चंद

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