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Friday 21 November 2014

एक जन्मदिन ऐसा भी



हाय रे मुलायम तूने ये क्या कर दिया...क्यों सूबे के गरीबों को जीते जी तिलांजलि दे डाली...ये सोच रहे होंगे समाजवादी चिंतक राममनोहर लोहिया जी...भले ही वो दुनिया में नहीं है...लेकिन जहां भी होंगे उनकी रूह आज बहुत दुखी होगी...कि जिसका जीवन पर्यन्त विरोध करते रहे...उसी की बग्घी पर बैठकर तू इतना इतरा रहा है...और ऊपर से तुम्हारे पीछे मंत्रियों की इतनी लंबी कतार ने करोड़ों गरीबों के निवाले पर डाका डालकर उन्हे मरने के लिए मजबूर कर दिया...जन्मदिन की तैयारी में इतनी शानोशौकत आखिर किस लिए...अच्छा होता अगर सूबे का हर नागरिक कम से कम दो वक्त की रोटी चैन से खा लेता...तो मुलायम तेरी शान में चार चांद लग जाता...लेकिन तूने ऐसा न करके अपने ही जन्मदिन को दुनिया का सबसे हाईटेक जन्मदिन बना डाला...दुल्हन की तरह सजा शहर ए रामपुर...लग्जरी सुविधाओं से लैस आलीशान पंडाल...सुरक्षा में तैनात जवान...स्वागत के लिए बेताब लोग...और बिलायती बग्घी में सवार समाजवाद...ये इत्तेफाक नहीं हकीकत है...ये वक्त है चलता रहता है..और हर चीज की उम्र बढ़ती रहती है...समाजवादी विचारक मुलायम सिंह यादव जिंदगी के 75 बसंत देख चुके हैं...76वें की तैयारी में हैं...लेकिन उनका जन्मदिन मनाने के लिए जिस शाही अंदाज में तैयारियां की गयी है...उसे देखकर मीडिया से लेकर सियासतदां तक हैरान हैं...कि आखिर ऐसा क्या मुलायम के मन में आया...जो जन्मदिन को इतना यादगार बनाने के लिए जिंदगी भर...अंग्रेजियत का विरोध करने वाले मुलायम अंग्रेजी बग्घी पर सवार हो गए...रामपुर के लोगों के लिए मानों सपने देखने जैसी बात थी...सुबह नींद खुली तो शहर का नजारा देख ये तय नहीं कर पा रहे थे...कि वो रामपुर में ही हैं...या सपनों की किसी वादी में तो नहीं पहुंच गए हैं...जबकि समाजवाद के समता दिवस की ये बस एक झलक भर थी...जिसे देख किसी को विश्वास नहीं हो रहा था कि आखिर किस खुशी में इतना दिखावा..क्योंकि इससे पहले भी तो 74 बार जन्मदिन मनाया होगा मुलायम ने...लेकिन पहले ऐसा कभी नहीं हुआ...पूरा शहर पोस्टर बैनरों से पटा पड़ा था...सैकड़ों स्वागत द्वार बने थे..दस जिलों की पुलिस के अलावा अद्धसैनिक बल की कई टुकड़ियां वीवीआईपी की सुरक्षा में तैनात रही...स्कूलों में अघोषित छुट्टी कर दी गयी वो भी अभिभावकों से बिना पूछे...तमाम कलाकारों पर करोड़ों रूपए लुटाए गए हैं...एक व्यक्ति का जन्मदिन मनाने के लिए आखिर इतनी विवशता क्यों...कि देश के मुस्तकबिल को दांव पर लगा दिया...गरीबों का निवाला छीन लिया...यही समाजवाद का डंका पीटने वाले मायावती की नोटों की माला और जन्मदिन को दिनरात कोसते थे...अब खुद उसी रास्ते पर निकल पड़े हैं...भले ही मुलायम और उनके बेटे अखिलेश इस समारोह की शानोशौकत देख कर गदगद नजर आ रहे हैं...और आयोजनकर्ता उनके खासमखास आजम खां भी इस भव्य आयोजन पर इतरा रहे हैं...वहीं उन्ही की पार्टी के अंदर से जो धुंआ उठ रहा है...उसे देखकर विरोधी भी फंडिंग पर सवाल पूछ रहे हैं...भले ही आजम फंडिंग की बात तालिबानी आतंकवादी. संगठन..दाऊद इब्राहीम...अबू सलेम और जो हमले में मारे गए कुछ आतंकवादियों के करने का दावा कर रहे हैं...लेकिन जो आग सुलग रही है...उसमें से जो बू आ रही है...उससे शेर को सवा शेर के तौर पर देखा जा रहा है...क्योंकि समाजवादी पार्टी ने आजम खान की पत्नी को राज्यसभा भेजने का निर्णय लिया है...जिसके बदले में आजम ने नेताजी पर करोड़ों कुर्बान कर दिए...इसीलिए सूबे की राजधानी और सैफई छोड़कर मुलायम इस बार जन्मदिन मनाने रामपुर चल दिए...जहां आजम ने जौहर अली विश्वविद्यालय में भव्य पंडाल के नीचे जन्मदिन मनाने के लिए बुलाया था...लेकिन सियासत का ये कोई नायाब किस्सा नहीं है...रसूख, दबदबा और हनक का दूसरा नाम ही सियासत है...और सियासत में अवसरवाद का अहम रोल होता है...लेकिन सफेद कुर्ते के पीछे छुपे काले चेहरे को पहचानने में हर बार जनता धोखा खा जाती है...और सफेदपोश जनता के हक पर डाका डालते रहते हैं...खैर कुछ भी हो उत्सव में करोड़ों जलकर खाक हो गये...जो गरीबों को मुंह चिढा रहा है...कुछ लोग निवाले के अभाव में मौत की आगोश में समा रहे हैं...अब लोहिया साहब यही सोच रहे होंगे कि हाय रे मुलायम तूने ये क्या कर डाला...

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